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गजब नौकरी: तनख्वाह पचास हजार से ज्यादा, काम सिर्फ बैठे रहना!

locationबगरूPublished: Aug 11, 2019 11:27:40 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

जयपुर-रींगस रेलमार्ग पर टे्रनों का संचालन नहीं होने से 32 महीने से स्टेशन मास्टर व कर्मचारी निर्धारित घंटों की नौकरी करके लौट जाते हैं। टे्रनों के नहीं चलने से अन्य किसी काम का कोई दबाव नहीं है।

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गजब नौकरी: तनख्वाह पचास हजार से ज्यादा, काम सिर्फ बैठे रहना!

चौमूं. जयपुर-रींगस रेलमार्ग पर 32 महीनों से टे्रनों का संचालन बंद पड़ा है, लेकिन ढेहर के बालाजी से गोविन्दगढ़ मलिकपुर तक चार स्टेशनों पर एक-एक स्टेशन मास्टर के अलावा एक-एक सहायक कर्मचारी तैनात कर रखा है, जिनको लाखों रुपए वेतन का भुगतान हर महीने करना पड़ रहा है। मोटे अनुमान के तौर पर अब तक रेलवे प्रशासन की ओर से बिना टे्रनों के संचालन किए इन कार्मिकों को सवा करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया जा चुका है।
जानकार सूत्रों के अनुसार जयपुर-सीकर रेलमार्ग पर आमान परिवर्तन से पहले 14 नवम्बर 2016 तक रेलगाडिय़ां चलाई गई थी तथा 15 नवम्बर को इस मार्ग पर पूरी तरीके से जयपुर-सीकर के बीच टे्रनों का संचालन बंद कर दिया गया था, लेकिन रेलवे प्रशासन ने ढेहर के बालाजी रेलवे स्टेशन, नींदड़ बैनाड़ स्टेशन, चौमूं-सामोद स्टेशन एवं गोविन्दगढ़-मलिकपुर रेलवे स्टेशन समेत अन्य कई रेलवे स्टेशनों पर एक-एक स्टेशन मास्टर एवं एक-एक सहायक कर्मचारी को जरूर तैनात रखा। सूत्रों की मानें तो रेलवे प्रशासन ने इन कर्मचारियों को रेलवे स्टेशन की सार-संभाल एवं देखभाल के मकसद से रखा बताया।
आठ घंटे बैठकर चले जाते हैं
सूत्रों के अनुसार जयपुर-रींगस रेलमार्ग पर टे्रनों का संचालन नहीं होने से 32 महीने से स्टेशन मास्टर व कर्मचारी निर्धारित घंटों की नौकरी करके लौट जाते हैं। टे्रनों के नहीं चलने से अन्य किसी काम का कोई दबाव नहीं है। सूत्रों की मानें तो आठ घंटे बिताकर लौट जाते हैं। अकेले ढेहर के बालाजी रेलवे स्टेशन, नींदड़ बैनाड़ स्टेशन, चौमूं-सामोद स्टेशन एवं गोविन्दगढ़-मलिकपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यरत कार्मिकों को वेतन के रूप में सवा करोड़ रुपए से अधिक राशि का भुगतान तक किया जा चुका है। जबकि कि इन रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा बल के जवान तैनात होने चाहिए थे, जिससे बेहतर तरीके से स्टेशनों की देखरेख हो सकती थी।
सीआरएस का तय नहीं
सूत्रों के अनुसार जयपुर जंक्शन पर यार्ड विस्तार समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इस कार्य के बाद जयपुर से ढेहर के बालाजी के बीच का शेष कार्य पूरा हो जाएगा और जयपुर से सीकर होते हुए अन्य स्थानों के लिए टे्रनों के चलने की उम्मीद बंधेगी। हालांकि अभी तक यह भी साफ नहीं किया गया है कि जयपुर-रींगस स्टेशन तक दुबारा सीआरएस होगा या साढ़े तीन महीने पहले हुए सीआरएस की अवधि बढ़ाने की मंजूरी दे दी जाएगी। यदि सीआरएस की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो दुबारा सीआरएस होगा। इसके बाद ही टे्रनों को इस मार्ग पर चलाया जाएगा।
बारिश से हो रहा नुकसान
बारिश की वजह से रेलवे स्टेशन चौमूं सामोद के यार्ड में बिछाई गई पटरियों पर पानी भर जाता है, जिससे पटरियों के नीचे बिछे स्लीपर की गिट्टियां मिट्टी में धंस गई। चारदीवारी में दरार आ गई। कई बैंच टूट गई। प्लेटफार्म पर बनाए गए अंडरपास में पानी भर गया।
स्टेशन मास्टरों को जयपुर बुलाया
गोविंदगढ़ मलिकपुर के स्टेशन अधीक्षक बीपी पहाडिय़ा ने बताया कि जयपुर-सीकर रेलमार्ग से जुड़े स्टेशनों के अधीक्षकों (स्टेशन मास्टर) को 14 अगस्त से जयपुर में रेल संचालन से जुड़े कार्यों के लिए बुलाया गया है। इससे माना जा सकता है कि रेलवे प्रशासन जल्द ही रेलगाडिय़ां चलाने की तैयारियों में जुटा हुआ है।
स्टेशन मास्टर करते हैं आरक्षण
चौमूं-सामोद स्टेशन पर टे्रनों में आरक्षण संबंधी सुविधा होने के कारण कार्यरत स्टेशन अधीक्षक आरएस कंसोटिया आरक्षण संबंधी कार्य करते हैं। स्टेशन मास्टर आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं। इस बारे में चौमूं स्टेशन के अधीक्षक का कहना है कि उनके पास 14 अगस्त को जयपुर जंक्शन पर पहुंचने का आदेश नहीं मिला है।
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