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ब्रेकिंग न्यूज : तेंदुए ने किया बकरी का शिकार, महिला बची

locationबगरूPublished: May 25, 2020 07:11:30 pm

Submitted by:

Ashish Sikarwar

ग्राम पंचायत सोठाना में कई माह से तेंदुए का आंतक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इससे ग्रामीण भयभीत हैं। ग्राम पंचायत के गोपीपुर में रविवार रात 8 बजे बघेरे ने बाड़े की 7 फीट ऊंची दीवार फांदकर एक बकरी का शिकार कर डाला।

विराटनगर. ग्राम पंचायत सोठाना में कई माह से तेंदुए का आंतक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इससे ग्रामीण भयभीत हैं। ग्राम पंचायत के गोपीपुर में रविवार रात 8 बजे बघेरे ने बाड़े की 7 फीट ऊंची दीवार फांदकर एक बकरी का शिकार कर डाला। घटना के दौरान बंधे अन्य जानवारों को चारा डालने आई महिला बाल-बाल बच गई। सोमवार को वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली और बघेरे को पकडऩे के लिए पिंजरा लगाया। पूर्व सरपंच लालचंद शर्मा ने बताया विराटनगर-पावटा रोड स्थित भीमसेन डूंगरी के पास बसे गांव गोपीपुर व आसपास के क्षेत्र में करीब ६ माह से बघेरे की आवाजाही हो रही है। पूर्व में बघेरा पावनधाम गौशाला में भी घुसकर मवेशियों का शिकार कर चुका है। देर शाम बघेरे सात फीट ऊंची दीवार फांदकर एक बाड़े में घुस गया। जहां हनुमान माली की एक बकरी का शिकार कर डाला, जबकि कुछ ही दूरी से बाड़े में मौजूद मांगीदेवी बाल-बाल बच गई। लोगों ने मामले की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी। इस पर मौके पर पहुंचे वन कार्मिकों ने घटना की जानकारी ली। पशु चिकित्सकों ने मरी बकरी का पोस्टमार्टम किया। बाद में बघेरे को पकडऩे के लिए पिंजरा भी लगा दिया।

इधर चंद कदम दूर से निकला बघेरा
जैतपुर खींची. आमेर उपखंड क्षेत्र के ग्राम जैतपुर खींची में उत्तराखण्ड व मुम्बई से लौटे दो प्रवासी मजदूरों का जीवन झोपड़ी में सिमटा हुआ है। करीब 8-10 दिन से दोनों मजदूर अपने खेत के पास बनी झोपड़ी में क्वारंटीन है। पास में ही जंगलात क्षेत्र है। ऐसे में मजदूरों को रात में वन्य जीवों का भय सता रहा है। वहीं दिन में तेज गर्मी ने परेशान कर रखा है। बीती रात को वन्य जीव खाना भी खा गए। झोपड़ी में ठहर रहे मजदूरों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि रात को एक बघेरा भी चंद कदमों दूर से गुजरता नजर आया। इससे वे भयभीत हो गए। साथ ही बीती रात को वन्य जीव उनका खाना भी खा गए। जानकारी के अनुसार ग्राम जैतपुर खींची निवासी अशोक कुमार प्रजापत मुम्बई व रामावतार प्रजापत उतराखंड से करीब 8-10 दिन पहले अपने घर लौटे थे। प्रशासन ने दोनों को होम क्वारंटीन कर दिया था। घर पर अलग से जगह नहीं होने की वजह से दोनों ने अपने-अपने खेत में बनी झोपड़ी में ही ठहरना उचित समझा। जहां दोनों मजदूर ठहरे हुए है, उन खेतों के पास एक तरफ वन क्षेत्र है। उन्होंने बताया कि रात को वन्य जीवों का डर रहता है। वहीं दिन में तेज गर्मी के कारण परेशान है। ठहरने के लिए प्रशासन ने कोई उचित व्यवस्था नहीं की है। बीती रात को वन्य जीव झोपड़ी में घुसकर खाना तक खा गए। वहीं रात को एक बघेरा भी पास से गुजरता नजर आया। इससे दोनों भयभीत हो गए। बाद में उन्होंने परिजनों को अवगत कराया और टार्च से रोशनी वन्य जीव को भगाया।

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