कोरोना का गैस कनेक्सन!,कोरोना का गैस कनेक्सन!,कोरोना का गैस कनेक्सन!,कोरोना का गैस कनेक्सन!,कोरोना का गैस कनेक्सन!
कोटपूतली. कोरोना संक्रमण के कारण व्यापार व रोजगार ही कम नहीं हुआ बल्कि इससे रसोई गैस की मांग में भी कमी दर्ज की गई है। लॉकडाउन के दौरान क्षेत्र में अधिकतर औद्योगिक इकाइयां होटल व ढाबे भी बंद रहने से गैस का उपयोग एकाएक कम हो गया। इस दौरान शादी समारोह व अन्य शुभ कार्य नहीं होने से रसोई गैस सिलेण्डरों की मांग घटी है। लॉकडाउन खुलने के बाद हालांकि गैस की आपूर्ति में सुधार हुआ है लेकिन इसके बाद भी मांग में 30 प्रतिशत तक की कमी बनी हुई है। इस क्षेत्र में एचपी गैस के दो व इण्डेन गैस का एक वितरक है। पिछले साल इन महिनों में तीनों वितरकों के यहां प्रतिदिन करीब 1000 घरेलू सिलेंडर रिफिल होते थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर करीब 700 रह गई है। मार्च महीने में कोरोना संक्रमण शुरू होने के साथ ही वितरक सिलेण्डरों की कम मांग की समस्या से जूझ रहे हैं। शहर के बजाय गांवों में मांग पर असर अधिक हुआ है। इण्डेन गैस वितरक हिमांशु भूरानी ने बताया कि शहर में हालांकि गैस की मांग में सधार हुआ है। लेकिन गांव में रसोई गैस की मांग पहले की तुलना में अभी बहुत कम है। व्यावसायिक सिलेण्डरों की मांग भी हुई कम: कोरोना के चलते लोगों को लंबे लॉकडाउन से गुजरना पड़ा। इस दौरान राजमार्ग पर स्थित अधिकतर होटल ढाबे तथा औद्योगिक इकाइयां बंद रही। इससे इनके यहां उपयोग में आने वाले कॉमर्शियल गैस सिलेंडरों की मांग भी घट गई। लॉकडाउन में तो सिलेण्डरों की मांग आधे से भी कम हो गई थी। लेकिन लॉकडाउन पूरा होने के बाद भी होटल व्यवसाय व दूसरे उद्योग अभी पटरी पर नहीं आए है इनके अलावा शहर में मिठाई व्यवसाय भी अभी तक प्रभावित है। इसके कारण अभी रसोई गैस की मांग में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ है। कोरोना का असर धीरे धीरे कम हो रहा है। लेकिन रसोई गैस की जितनी मांग होनी चाहिए उतनी मांग अभी नहीं है। एक गैस वितरक ने बताया कि सिलेण्डरों की मांग कम होने व खर्चों में कोई कटौती नहीं होने से उन्हें नुकसान उठना पड़ रहा है। गैस वितरकों को उम्मीद है कि दशहरा व दीपावली पर्व के बाद देव उठनी एकादशी 25 नवम्बर से विवाह शादियां शुरू होने पर मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा सर्दी में रिफिल सिलेण्डरों की संख्या अधिक रहती है। अब लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं है। इसलिए सिलेण्डरों की मांग में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।