ये हैं नियम
परिवहन आयुक्त एवं प्रमुख शासन सचिव ने जून 2018 को आादेश दिए थे कि स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला। आगे-पीछे स्कूल बस लिखा हो। अनुबंधित बस पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। वैन के पीछे व साइड में 150 एमएम चौड़ाई की सुनहरी पीले रंग की आड़ी पट्टी, बाल वाहिनी स्पष्ट रूप से अंकित हो। ऑटो रिक्शा में आगे-पीछे स्पष्ट रूप से ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए। इतना ही नहीं, बस, वैन, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम व फोन नम्बर अनिवार्य रूप से अंकित होना चाहिए। वाहन चालकों को इसी श्रेणी के वाहन चलाने का पांच साल का अनुभव हो तथा पांच साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो। बाल वाहिनी योजना के तहत संचालित वाहनों की बैठक क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार निर्धारित बैठक क्षमता से डेढ़ गुणा अधिक नहीं होनी चाहिए। चालक-परिचालक खाकी वर्दी में हों। स्कूली वाहनों में जीपीएस अनिवार्य रूप से हों। रूट का परमिट हो। फस्र्टएड बॉक्स हो। बसों में बैग रखने की जगह हो समेत विभिन्न निर्देशों की पालना करने के आदेश जारी किए गए थे।
परिवहन आयुक्त एवं प्रमुख शासन सचिव ने जून 2018 को आादेश दिए थे कि स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला। आगे-पीछे स्कूल बस लिखा हो। अनुबंधित बस पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो। वैन के पीछे व साइड में 150 एमएम चौड़ाई की सुनहरी पीले रंग की आड़ी पट्टी, बाल वाहिनी स्पष्ट रूप से अंकित हो। ऑटो रिक्शा में आगे-पीछे स्पष्ट रूप से ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए। इतना ही नहीं, बस, वैन, ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम व फोन नम्बर अनिवार्य रूप से अंकित होना चाहिए। वाहन चालकों को इसी श्रेणी के वाहन चलाने का पांच साल का अनुभव हो तथा पांच साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो। बाल वाहिनी योजना के तहत संचालित वाहनों की बैठक क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार निर्धारित बैठक क्षमता से डेढ़ गुणा अधिक नहीं होनी चाहिए। चालक-परिचालक खाकी वर्दी में हों। स्कूली वाहनों में जीपीएस अनिवार्य रूप से हों। रूट का परमिट हो। फस्र्टएड बॉक्स हो। बसों में बैग रखने की जगह हो समेत विभिन्न निर्देशों की पालना करने के आदेश जारी किए गए थे।
आदेशों की नहीं हो रही पालना
परिवहन आयुक्त के आदेश जारी करने के बीस महीने बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारी एवं कार्मिक स्कूल संचालकों से स्कूल वाहनों में निर्धारित मापदंडों की पालना नहीं करवा पाए। हालांकि स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है, लेकिन जिस तरीके से स्कूली वाहन छात्रों को लेकर बेखौफ दौड़ रहे हैं। इससे साफ है कि यह सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए ही है।
अनदेखी से दौड़ते वाहन
सूत्रों की मानें तो परिवहन विभागों की जिम्मेदारों की ढिलाई के चलते अधिकतर स्कूल वाहन यातायात नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए दौड़ रहे हैं। इनमें कई वाहन तो ऐसे हैं, जिनकी फिटनेस सालों से नहीं हुई, लेकिन फिर बच्चों को आवागमन करवा रहे हैं।
परिवहन आयुक्त के आदेश जारी करने के बीस महीने बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारी एवं कार्मिक स्कूल संचालकों से स्कूल वाहनों में निर्धारित मापदंडों की पालना नहीं करवा पाए। हालांकि स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है, लेकिन जिस तरीके से स्कूली वाहन छात्रों को लेकर बेखौफ दौड़ रहे हैं। इससे साफ है कि यह सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए ही है।
अनदेखी से दौड़ते वाहन
सूत्रों की मानें तो परिवहन विभागों की जिम्मेदारों की ढिलाई के चलते अधिकतर स्कूल वाहन यातायात नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए दौड़ रहे हैं। इनमें कई वाहन तो ऐसे हैं, जिनकी फिटनेस सालों से नहीं हुई, लेकिन फिर बच्चों को आवागमन करवा रहे हैं।