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25 साल पहले लगाए थे 27 हजार पौधे, आज कब्जे का खेल

झाग गांव में वर्ष 1994 में 109 बीघा चरागाह भूमि पर लगाई थी नर्सरी

बगरूJun 25, 2018 / 11:54 pm

Ramakant dadhich

25 साल पहले लगाए थे 27 हजार पौधे, आज कब्जे का खेल

महलां. झाग ग्राम पंचायत क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति की ओर से ढाई दशक पहले नर्सरी लगाई गई थी। लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते समाजकंटक नर्सरी में लगे पेड़ों को काटकर जमीन समतल कर इस पर खेती करने में लगे हैं। जानकारी अनुसार वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति की ओर से झाग में बांडी नदी के निकट वर्ष 1994 में 109 बीघा चरागाह भूमि पर 27095 पौधे लगाकर नर्सरी विक सित की गई थी। नर्सरी में 18192 देशी बबूल, 955 बिलायती बबूल, 5690 इजरायली बबूल, 2040 अरडू, 218 शीशम के पौधे लगाए गए थे। पंचायत ने पौधों के बड़े होने तक यहां चौकीदार भी नियुक्त किया था, लेकिन कुछ वर्षों बाद यहां से चौकीदार हटा दिया गया। वर्ष 2014 के बाद शुरू हुआ यहां जमीन पर कब्जे का खेल जो धीरे-धीरे अब तक जारी है। कुछ लोगों ने रात के दौरान नर्सरी से पेड़ उखाडक़र नर्सरी को चौपट कर दिया तथा तारबंदी कर कब्जा करने में लगे हैं। वहीं नर्सरी भूमि से मिट्टी का अवैध दोहन भी किया जा रहा है। ग्राम के सार्वजनिक तालाब की पाल, बगीची व आम रास्तों पर अतिक्रमण हो गया है। पूर्व सरपंच व पर्यावरण प्रेमी शांतीलाल जैन ने बताया कि कई बारे में राजस्व विभाग एवं स्थानीय प्रशासन को कई बार अवगत करवाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

संभागीय आयुक्त ने भेजे पांच रिमाइंडर


पूर्व सरपंच जैन ने बताया कि झाग में वर्ष 1994 में 109 बीघा में नर्सरी स्थापित की गई थी, जिसकी सार-संभाल की जिम्मेदारी पंचायत की थी। फ रवरी 1994 में तहसीलदार मौजमाबाद की रिपोर्ट में भी स्पष्ट उल्लेख है कि यहां करीब 27000 से अधिक पेड़ समिति द्वारा लगाए गए थे। पूर्व सरपंच व ग्रामीणों आरोप लगाया कि प्रशासन की शिथिलता के चलते नर्सरी भूमि में कई पक्के निर्माण भी हो चुके हैं। मामले को लेकर शांतीलाल जैन ने संभागीय आयुक्त, अति. संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को अवगत करवाया। इसके बाद भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। मामले को लेकर संभागीय आयुक्त ने जांच के लिए उपखंड अधिकारी दूदू को अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के बीच पांच बार रिमाइंडर भेजा, लेकिन उपखंड अधिकारी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
तालाब की पाल पर काट दिए पट्टे
इधर, मामले को लेकर तहसीलदार मौजमाबाद ने अगस्त 2017 में कलक्टर को एक जांच रिपोर्ट भेजी जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि पंचायत की पाल पर दुकानें बनी है, जिसका पट्टा पंचायत द्वारा जारी किया गया है। वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति अध्यक्ष भूरी देवी का कहना है कि इस बारे में वर्ष 1994 में पेड़ लगाकर नर्सरी को विकसित किया गया था। इसके बाद प्रशासन की उदासीनता के चलते कुछ लोग नर्सरी से पेड़ काटकर इसे नष्ट करने पर उतारू हैं। कुछ लोग तारबन्दी कर नर्सरी पर अतिक्रमण करने में लगे हैं। पूर्व सरपंच ओमप्रकाश चावला का कहना है कि मेरे कार्यकाल में वर्ष 1994 में सरकारी नर्सरी के लिए भूमि आवंटिट की गई थी। इसके बाद चारागाह भूमि में वृक्ष उत्पादक सहकारी समिति द्वारा करीब 270000 पेड़ लगाकर नर्सरी को विकसित किया गया था। लेकिन अब प्रशासन की उदासीनता के चलते नर्सरी का अस्तिव खतरे में नजर आ रहा है।
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