केन्द्र सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 64 करोड़ रुपए मंजूर किए थे, लेकिन प्रदेश में तत्कालीन सरकार बदलने के बाद किसी ने ध्यान नहीं दिया और कार्य क्षतिग्रस्त हो गए। जबकि राज्य सरकार ने यहां 36 करोड़ रुपए खर्च किए थे। दोनों सरकारों ने मिलकर सौ करोड़ खर्च किए थे।
– पर्यटक ट्रेन व पुराने ट्रैक का नवीनीकरण।
– सांभर व झपोक गांव में रेलवे स्टेशन बनाए थे।
– देवयानी सरोवर स्थित घाट, सरोवर, मंदिरों को सुधारा गया था।
– पुरा ऐतिहासिक इमारतों व सरकारी भवनों को दुरुस्त किया था।
– सांभर साल्ट में पार्क, सड़कें व नई पार्किंग बनाई थी।
– पर्यटकों के लिए वॉक-वे, साइकिल ट्रैक बनाए थे।
– कारवां पार्क, मेला ग्राउंड बनाया था।
कल्चर सेंटर : सांभर आने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां कल्चर सेंटर भी बनाया गया था। जिसमें राजस्थानी पारम्परिक नृत्य, सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन होना था, लेकिन ये भी बंद है।
75 फीसदी सोलर लाइटें चोरी : सांभर से झपोक तक 8 किलोमीटर लम्बा ट्रैक बनाया था। इस ट्रैक पर रोशनी के लिए सोलर लाइटें लगाई गई थी, इनमें से 75 फीसदी चोरी हो गई हैं और कुछ खराब हो गई हैं।
बंगले का ताला तक नहीं खुला : तीन साल पहले पर्यटकों के ठहरने के लिए सांभर साल्ट के पुराने बंगले को सुविधायुक्त बनाया गया था, जिससे सैलानियों को यहां ठहरने में परेशानी ना हो, लेकिन अभी तक इसका ताला तक नहीं खुला है।
इनके पास है जिम्मेदारी : ट्रेन, कारवां पार्क, बंगला-होटल की जिम्मेदारी सांभर साल्ट के पास है जबकि मेला ग्राउंड की जिम्मेदारी नगर पालिका के पास है। इनमें से सांभर साल्ट ने ट्रेन व बंगला-होटल को लीज पर दे दिया।
— 90 स्क्वायर मील में फैली है सांभर झील।
— 70 किलोमीटर दूर है जयपुर से
— 10 फीसदी क्षेत्र में होता है नमक का उत्पादन
— जयपुर, अजमेर, नागौर जिलों में फैली है।
पिछले दो साल से कोरोना के कारण कामकाज ठप था, पर्यटकों की आवाजाही भी नहीं हो रही थी। अब पर्यटकों का आना शुरू हो गया है। यहां सब ठीक है और लगभग सभी संचालित हो रहा है। बड़ा क्षेत्र होने से परेशानी आती है। कई बार सामान चोरी हो जाता है। इसे रोकने के प्रयास किए जाएंगे।
— गणेश येवले, महाप्रबंधक कार्य, सांभर साल्ट लिमिटेड सांभरलेक
— शिवराज कृष्ण, ईओ, नगर पालिका सांभर