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पर्यटन के नाम पर छलावा : सांभर झील में डूब गए सौ करोड़

locationबगरूPublished: Oct 14, 2021 06:13:35 pm

Submitted by:

Narottam Sharma

— 64 करोड़ केंद्र व 36 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने किए थे खर्च— विकास कार्य हुए बदहाल, कई भवनों पर बनने के बाद से लटका है ताला

सांभर में पर्यटकों के लिए बनाया गया कल्चर सेंटर जो बनने के बाद से बंद है। — फोटो राजीव श्रीवास्तव।

सांभर में पर्यटकों के लिए बनाया गया कल्चर सेंटर जो बनने के बाद से बंद है। — फोटो राजीव श्रीवास्तव।

नरोत्तम शर्मा
जयपुर. नमक व विदेशी पक्षियों के लिए विश्व प्रसिद्ध सांभरलेक में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वदेश दर्शन योजना के तहत केन्द्र सरकार और तत्कालीन राज्य सरकार ने तीन साल पहले सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते यहां विकास कार्य पर्यटकों के साथ छलावा ही साबित हुए। वहीं कई निर्माण कार्य तो कुछ ही समय बाद क्षतिग्रस्त हो गए। विकास कार्यों की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग व पुरातत्व विभाग की थी। दोनों विभागों ने कार्य पूर्ण कराकर नगर पालिका व सांभर साल्ट को सौंप दिए, लेकिन संसाधनों का अभाव व बजट की कमी के कारण इन विकास कार्यों का समुचित उपयोग नहीं हो सका और पूरी राशि व्यर्थ हो गई। वर्तमान में ये हाल हैं कि सांभर आने वाले पर्यटकों को शहर से बाहर निकलने के बाद कई किलोमीटर तक फैले नमक क्यार क्षेत्र में पीने का पानी तक नसीब नहीं होता।
केन्द्र की मंशा हुई धूमिल
केन्द्र सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 64 करोड़ रुपए मंजूर किए थे, लेकिन प्रदेश में तत्कालीन सरकार बदलने के बाद किसी ने ध्यान नहीं दिया और कार्य क्षतिग्रस्त हो गए। जबकि राज्य सरकार ने यहां 36 करोड़ रुपए खर्च किए थे। दोनों सरकारों ने मिलकर सौ करोड़ खर्च किए थे।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ये हुए थे कार्य
– पर्यटक ट्रेन व पुराने ट्रैक का नवीनीकरण।
– सांभर व झपोक गांव में रेलवे स्टेशन बनाए थे।
– देवयानी सरोवर स्थित घाट, सरोवर, मंदिरों को सुधारा गया था।
– पुरा ऐतिहासिक इमारतों व सरकारी भवनों को दुरुस्त किया था।
– सांभर साल्ट में पार्क, सड़कें व नई पार्किंग बनाई थी।
– पर्यटकों के लिए वॉक-वे, साइकिल ट्रैक बनाए थे।
– कारवां पार्क, मेला ग्राउंड बनाया था।
अब ऐसा है हाल..

पर्यटक सूचना केन्द्र : सांभर में पर्यटकों के लिए पर्यटक सूचना केन्द्र बनाया गया था, लेकिन बनने के बाद से अभी तक यह बंद ही पड़ा है। इसकी बदहाली का आलम यह है कि यहां निर्माण क्षतिग्रस्त हो गया है। दरवाजे, खिड़कियां तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
कल्चर सेंटर : सांभर आने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां कल्चर सेंटर भी बनाया गया था। जिसमें राजस्थानी पारम्परिक नृत्य, सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन होना था, लेकिन ये भी बंद है।
75 फीसदी सोलर लाइटें चोरी : सांभर से झपोक तक 8 किलोमीटर लम्बा ट्रैक बनाया था। इस ट्रैक पर रोशनी के लिए सोलर लाइटें लगाई गई थी, इनमें से 75 फीसदी चोरी हो गई हैं और कुछ खराब हो गई हैं।
बंगले का ताला तक नहीं खुला : तीन साल पहले पर्यटकों के ठहरने के लिए सांभर साल्ट के पुराने बंगले को सुविधायुक्त बनाया गया था, जिससे सैलानियों को यहां ठहरने में परेशानी ना हो, लेकिन अभी तक इसका ताला तक नहीं खुला है।
इनके पास है जिम्मेदारी : ट्रेन, कारवां पार्क, बंगला-होटल की जिम्मेदारी सांभर साल्ट के पास है जबकि मेला ग्राउंड की जिम्मेदारी नगर पालिका के पास है। इनमें से सांभर साल्ट ने ट्रेन व बंगला-होटल को लीज पर दे दिया।
फैक्ट फाइल…
— 90 स्क्वायर मील में फैली है सांभर झील।
— 70 किलोमीटर दूर है जयपुर से
— 10 फीसदी क्षेत्र में होता है नमक का उत्पादन
— जयपुर, अजमेर, नागौर जिलों में फैली है।
इनका कहना है…
पिछले दो साल से कोरोना के कारण कामकाज ठप था, पर्यटकों की आवाजाही भी नहीं हो रही थी। अब पर्यटकों का आना शुरू हो गया है। यहां सब ठीक है और लगभग सभी संचालित हो रहा है। बड़ा क्षेत्र होने से परेशानी आती है। कई बार सामान चोरी हो जाता है। इसे रोकने के प्रयास किए जाएंगे।
— गणेश येवले, महाप्रबंधक कार्य, सांभर साल्ट लिमिटेड सांभरलेक
मुझे दो माह ही हुए हैं यहां ज्वाइन किए हुए। फाइल देखकर ही कुछ बताया जा सकता है।
— शिवराज कृष्ण, ईओ, नगर पालिका सांभर

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