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Blasting Mining : पहाड़ को किया चट, अब तलहटी भी नोंच रहे

locationबगरूPublished: Sep 23, 2019 11:17:37 pm

Submitted by:

Kashyap Avasthi

एक किलोमीटर का पहाड़ अब मीटरों में सिमटा

Blasting  Mining : पहाड़ को किया चट, अब तलहटी भी नोंच रहे

Blasting Mining : पहाड़ को किया चट, अब तलहटी भी नोंच रहे

जयपुर. खनिज विभाग सोता रहा और जयपुर-फलौदी मेगा हाइवे से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर हिंगोनिया-कालवाड़ के पास लालपुरा के नाथावाली पहाड़ को खनिज (mining)माफिया निगल गए और पाताल को नोंचने पर आमादा हैं। जिम्मेदार अधिकारियों ने बांडी नदी के किनारे लालपुरा के इस पहाड़ (Mauntain) को बचाने की जहमत तक नहीं उठाई। एक किलोमीटर लंबा पहाड़ अब पूरी तरह लुप्त होने की कगार पर है।

लालपुरा बस स्टैंड पावर हाऊस से आईदानकाबास-महरियों का बास जाने वाले रास्ते पर बांडी नदी के किनारे नाथावाली डूंगर करीब एक किमी. लम्बा तथा कई मीटर ऊंचाई तक था और इसे तीन चार किलोमीटर की दूरी से आसानी से देखा जाता था, लेकिन खनिज विभाग के अनदेखी के कारण पत्थर व मोरम का खनन करने वाले माफिया इसे डकार गए। कंप्रेशर मशीनों से बड़े बड़े हॉल कर ब्लास्टिंग (Blasting) से इसे तोड़ा गया।
कई सालों तक हुए खनन के बाद अब पहाड़ का अस्तित्व ही खत्म हो गया। माफियाओं ने करोड़ों की चांदी कूट राजस्व को चपत लगाई लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई तक नहीं हुई। लालपुरा के लोगों ने पहाड़ को बचाने के लिए कई बार कलक्टर से लेकर खनिज विभाग के उच्चाधिकारियों तक गुहार लगाई लेकिन ज्ञापन कहां गए, किसी को पता नहीं। उधर, पहाड़ी के आसपास रहने वाले लोग ब्लास्टिंग के बाद डरे-सहमे नजर आते हैं।

पहला पहाड़ जो नष्ट हो गया
लालपुरा का नाथावाली का पहाड़ क्षेत्र का ऐसा पहला पहाड़ है, जो अवैध खनन (illegal Blasting & Mining ) के कारण 90 फीसदी तक नष्ट हो चुका है। पहाड़ को अवैध खनन से खनिज माफियाओं ने करीब 50 फीट की गहराई तक खोद दिया है और पत्थर निकाल रहे हैं। बावजूद इसके विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। बारिश के मौसम में पानी भरने से दो तीन माह इसमें खनन नहीं होता लेकिन पानी सूखने के बाद माफिया फिर से जेसीबी, ब्लॉस्ंिटग मशीन, ट्रेक्टर ट्रॉली, डंपरों के साथ इसमें कूद पडेंग़े।

हादसे होते रहे और दबाते रहे
जयरामपुरा के पास दादर एवं आसोजई पहाड़ों में पिछले 5 सालों में खनन के दौरान तीन लोगों की मौत (Death) हो चुकी है और हादसे (mining accident) में लगभग आधा दर्जन लोग घायल हो चुके हैं। लालपुरा के पहाड़ में भी गई दुर्घटनाएं हुई लेकिन प्रशासन की मिलीभगत के कारण अवैध खनन करने वाले माफिया ले-देकर मामलों को दबाते रहे।
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