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बांडी नदी का सीना किया छलनी

कालवाड़ रोड पर बजरी का अवैध खनन

बगरूJun 27, 2018 / 11:11 pm

Ramakant dadhich

बांडी नदी का सीना किया छलनी

कालवाड़ . एक तरफ जहां पुलिस व खनिज विभाग की टीम कालवाड़ रोड पर बजरी का अवैध खनन कर ट्रकों व ट्रेलरों के अवैध परिवहन पर लगाम कस रही है वहीं दूसरी ओर थाने के पास ही बांडी नदी क्षेत्र में बजरी माफिया धड़ल्ले से बजरी का अवैध खनन कर बांडी नदी को खोखली करने पर तुले हैं।
कालवाड़ के पास स्थानीय क्षेत्र की सीमा व जलोई केअधीन आने वाली बांडी नदी में माफिया अवैध रूप से खनन करने में दिन-रात जुटे हैं। ऐसे में यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। कालवाड़ बांडी नदी में पाइप फैक्ट्री के आगे जेसीबी मशीन से माफिया रेते वाली बजरी का खनन कर जयपुर व आस पास के क्षेत्र में ट्रैक्टरों आदि में भरकर भेज रहे हैं। इस ओर खनिज विभाग, वन विभाग, पुलिस, जेडीए व स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।

बिगड़ा नदी का हुलिया
अवैध खनन के चलते बांडी नदी के खोखली होने के साथ-साथ इसका हुलिया ही बदल गया है। जगह-जगह अवैध खुदाई से बड़े-बड़े गड्ढे पड़ गए हैं। दूर से नदी का पाट बड़े गड्ढों में दिखाई दे रहा है।

रोजाना लाखों की कमाई, सरकार को लगा रहे चूना
कालवाड़ सहित आसपास स्थित बांडी नदी में बजरी का अवैध खनन करने वाले रोजाना लाखों रुपए की कमाई कर चांदी कूट रहे हैं, वहीं खनिज विभाग की नजरअंदाजी से सरकार को राजस्व की चपत लग रही है, वहीं कोर्ट के आदेशों की अवमानना हो रही है। इससे पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश है। स्थानीय निवासी एडवोकेट जेपी सैनी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक होने के बावजूद नदी में बजरी का अवैध खनन होना न्यायालय के आदेशों की अवमानना है।
मिलावट कर बेच रहे बजरी
कालवाड़ क्षेत्र की बांडी नदी में रेते वाली बजरी से माफिया मिलावट कर चांदी कूट रहे हैं। बांडी नदी की रेते वाली बजरी को बड़ी मात्रा में बनास, मासी आदि नदियों की बजरी में मिलाकर इसे उच्च गुणवत्ता वाली बताकर शहरी क्षेत्र में 1000 से 1300 रुपए टन के हिसाब से बेच रहे हैं।
सीवरेज ने जरूर की रोकथाम
बांडी नदी में बजरी का अवैध खनन जोरों पर है लेकिन पाइप फैक्ट्री से लेकर थाने तक का इलाका गजाधरपुरा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी के बड़े तलाब के रूप में भरने से खनन पर जरूर रोक लगा रहा है। सीवरेज का पानी अगर एकत्र नहीं होता तो यहां भी बजरी के खनन से पाट गड्ढों में तब्दील हो गया होता।
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