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आयरन की कमी से मिट्टी बीमार, लोगों में खून की कमी

locationबगरूPublished: Dec 14, 2019 11:42:15 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

– सूक्ष्म पौषक तत्वों का असर आम लोगों की सेहत पर, हिमोग्लोबिन भी हो रहा कम

आयरन की कमी से मिट्टी बीमार, लोगों में खून की कमी

आयरन की कमी से मिट्टी बीमार, लोगों में खून की कमी

चौमूं. कृषि विज्ञान केन्द्र टांकरड़ा चौमूं में मृदा जांच के बाद जमीन में आयरन की मात्रा कम होना माना गया है। यानी आयरन की कमी है तो हिमोग्लोबिन भी कम ही होगा। जब जमीन की स्थिति ये है तो इसका दुष्प्रभाव आम लोगों पर भी पड़ रहा है। पौषक तत्वों की कमी-पूर्ति नहीं कर पाने के कारण फ ल-सब्जियों में आयरन जैसे तत्व घटने लगे हैं। उपखंड समेत आस-पास क्षेत्र के लोगों में हिमोग्लोबिन कम होने का एक कारण ये भी माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार चौमूं के रावला चौक स्थित राजकीय चिकित्सालय समेत उपखंड क्षेत्र में संचालित अन्य सरकारी चिकित्सायों एवं क्षेत्र में संचालित निजी चिकित्सालयों व प्रयोगशालाओं में होने वाली रोगियों की रक्त जांच में 80 प्रतिशत तक हिमोग्लोबिन 12 ग्राम से कम मिलता है। कई गर्भवती महिलाओं में तो हिमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम होता है। चिकित्सा विभाग के सूत्र बताते हैं कि स्वस्थ व्यक्ति में 13.5 से 17.5 ग्राम मात्रा में हिमोग्लोबिन होना चाहिए। ऐसे मरीजों को सूक्ष्म पौषक तत्वों की पूर्ति करवाने के लिए आयरन की गोलियां व इंजेक्शन लगवाने का परामर्श दिया जाता है।
किसान जागरूक हुए, लेकिन…
केन्द्र सरकार ने जमीन की उर्वरकता क्षमता बढ़ाने एवं जमीनी तत्वों की पूर्ति करवाने के लिए वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चालू की, जिससे किसानों को वास्तविक स्थिति का पता लग सके। योजना में किसानों की खसरावार भूमि की मिट्टी की जांच करवाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए। चौमूं उपखंड क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षकों ने खसरावार मिट्टी के नमूनों की कृषि विज्ञान केन्द्र टांकरड़ा (चौमूं) एवं दुर्गापुरा स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र समेत संबंधित प्रयोगशालाओं में जांच करवाई। कृषि विज्ञान केन्द्र ने तो वर्ष 2018 तक करीब 21 हजार कार्ड वितरित किए। मृदा जांच के बाद किसानों में जागरूकता आई है। किसान अब जांच रिपोर्ट के आधार पर रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद खेती में अपनाने लगे हैं, लेकिन सूक्ष्म तत्वों को प्राथमिकता कम देते हैं।
पत्रिका ने की पड़ताल

राजस्थान पत्रिका ने जमीन में आयरन कम होने का असर लोगों की सेहत किस तरह पड़ रहा है। इसे लेकर क्षेत्र में संचालित राजकीय एवं निजी चिकित्सालयों समेत निजी प्रयोगशालाओं में होने वाली रक्त जांचों के बारे में जानकारी जुटाई तो सामने आया कि 70 प्रतिशत रोगियों की रक्त जांच होने पर उनमें आयरन की कमी के कारण हिमोग्लोबिन की मात्रा 12 ग्राम से कम होती है तथा 35 प्रतिशत रोगियों में 8 से 11 ग्राम हिमोग्लोबिन होता है तथा 20 प्रतिशत रोगियों में 8 ग्राम से कम हिगोग्लोबिन की मात्रा पाई जाती है। हालांकि चिकित्सक आयरन की कमी के और भी कारण बताते हैं, लेकिन जमीन में आयरन की कमी के कारण पैदा होने वाली हरी सब्जियां भी इससे प्रभावित होती हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो चिकित्सक हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां खाना बताता है, लेकिन चूंकि सब्जियां जिस जमीन में पैदा हो रही है उसमें आयरन कम है तो कैसे मरीजों को लाभ मिल सकता है।

जमीन में 2.5 पीपीएम से कम है

कृषि विज्ञान केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक ने बताया कि जमीन में सूक्ष्म तत्व के रूप में माने जाने वाले आयरन की मात्रा 2.5 पीपीएम होनी चाहिए, लेकिन मृदा जांच के बाद सामने आया है कि जमीन में इसकी मात्रा 2.5 से घट रही है। कहीं-कहीं तो इसकी मात्रा 1 पीपीएम तक आ गई है, जो चिंता का विषय है। किसानों को इसकी पूर्ति के लिए फैरस सल्फेट का उपयोग करना चाहिए।
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