हसमपुरा निवासी महिला धापू देवी ने बताया कि सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे वह खेत में चारा लेने गई थी कि अचानक तेज गुर्राहट की आवाज के साथ सामने से भागता जरख नजर आया। इस पर वह खेत में छिप गई और उसके निकलने के बाद शोर मचाया। इसके बाद ग्रामीण हाथों में लाठी-सरिए लेकर जरख की तलाशी (searching ) में जुट गए और पुलिस व वनविभाग के कर्मचारियों को सूचना दी।
ग्रामीणों को खेतों में जगह-जगह पगमार्क भी मिले हैं। इस दौरान जिला वन समिति सदस्य व जिला परिषद सदस्य गोपाललाल मीणा व राजेंद्र मीणा सहित वनपाल मोरपालसिंह मीणा मौके पर पहुंचे और पगमार्क देखे। जिस पर जरख के होने की पुष्टि की गई। इसके बाद लोहरवाड़ा में भी जरख को देखा गया।
10 किलोमीटर (forest search) तलाशा, नहीं मिला
वनपाल के साथ ग्रामीणों ने करीब दस किलोमीटर के क्षेत्र में जरख की तलाश की लेकिन वह नहीं मिला। इसके बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई। वनपाल मोरपाल सिंह ने बताया कि पगमार्क मादा जरख के हैं और उसके साथ जरख का शावक भी है। क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी व रेस्क्यू टीम के सौंदर्य कुमार पारीक को पगमार्क भेजे जिसमें जरख की पुष्टि हुई।
ग्रामीणों में दहशत का माहौल
जैसे ही हसमपुरा में जरख की सूचना ग्रामीणों (villagers) को लगी तो बड़ी संख्या में ग्रामीण अपने खेतों पर पहुंचे और वहां काम कर रहे लोगों को सावधान किया। इसके बाद आसपास के गांवों में लोग अपने घरों को लौट गए। लोगों ने बताया कि कांसेल में हुए हमले के बाद भी वन विभाग की टीम जरख को नहीं पकड़ पाई है। वहीं लोग दहशत में हैं।