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लॉकडाउन: पशुआहार के दाम बढ़े, चारा संकट गहराया

पशुपालकों को सता रही चिंता : लॉकडाउन के चलते पशु चारा भी दुगने-तिगुने भाव में मिल रहा है। इससे रमल्यावाला, नांगल पुरोहितान, राजावास के आस-पास के पशुपालक आहत हैं।

बगरूApr 03, 2020 / 05:42 pm

Narottam Sharma

लॉकडाउन: पशुआहार के दाम बढ़े, चारा संकट गहराया

राजावास. क्षेत्र में कोरोना वायरस के कहर का असर पशुओं के चारे पर भी पड़ने लगा है। पशुपालकों के सामने पशुओं के खाने का जुगाड़ करने का संकट पैदा हो गया है। ग्राम पंचायत नांगल पुरोहितान की रमल्यावाला डेयरी योजना निवासी पशुपालक राजू लांबा ने बताया कि यहां करीब 250 से 300 पशुपालक हैं, जहां एक और प्राइवेट डेयरियां दूध ही नहीं ले रही, वहीं सरस डेयरी में भी चार-पांच दिन से एक पशुपालक का नंबर आ रहा है। इससे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। इसके अलावा लॉकडाउन के चलते पशु चारा भी दुगने- तिगुने भाव में मिल रहा है। इससे रमल्यावाला, नांगल पुरोहितान, राजावास के आस-पास के पशुपालक आहत हैं।
चारे के भाव बढ़े
पशुपालकों की मानें तो पहले चारा 270 से 280 रुपए मण था, जो वर्तमान में 550 से 600 रुपए प्रति मण हो गया है। पशुआहार के तौर पर काकड़ा पहले 3200 रुपए क्विंटल था, लेकिन अब 4800 रुपए प्रति क्विंटल है। खल पहले 2400 प्रति क्विंटल थी। अब 4400 रुपए क्विंटल मिलती है। चूरी पहले 2000 रुपए प्रति क्विंटल मिलती थी, लेकिन अब 4000 से 4500 रुपए प्रति क्विंटल हो गई। पशु आहार पहले 1900 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल था। अब यह 2800 से 3000 रुपए क्विंटल हो रहा है।
दोहरी मार पड़ रही
पशुपालकों ने बताया कि महंगाई से पशुपालकों पर दोहरी मार पड़ गई है। एक तरफ कोरोना वायरस के दौरान हुए लॉक डाउन में डेयरियों में दूध नहीं जा रहा है। इससे घर-परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। वहीं पशुपालकों के सामने पशुओं का चारा व बांट के दुगने भाव हो गए। फिर भी चारा नहीं मिलने से ज्यादा संकट और बढ़ गया।
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