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बीमार नवजात रैफर टू जयपुर

locationबगरूPublished: Sep 12, 2019 11:45:56 pm

Submitted by:

Dinesh

राजकीय चिकित्सालय चौमूं का मामला: ढाई महीने से यूनिट बंद, धूल फांक रहे उपकरण

बीमार नवजात रैफर टू जयपुर

बीमार नवजात रैफर टू जयपुर

चौमूं. राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते चौमूं के राजकीय चिकित्सालय में लाखों रुपए की लागत से नवजात बच्चों के लिए खोली गई न्यू बोर्न स्टेबलिटी यूनिट (एनबीएसयू) ढाई महीने बंद पड़ी है। चिकित्सक नहीं होने से नवजातों को इलाज के लिए रैफर किया जाएगा, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं है। इससे न सिर्फ परिजनों को खासी परेशानी हो रही है, वहीं यूनिट के उपकरण काम नहीं आने के कारण खराब होने की स्थिति में है।
सूत्रों के अनुसार पांच साल पहले पिछली सरकार के कार्यकाल में विधायक रामलाल शर्मा के प्रयासों से सरकारी अस्पताल में नवजात बच्चों के जन्म के तुरंत बाद उनमें उत्पन्न होने वाली बीमारी के त्वरित उपचार के लिए न्यू बोर्न स्टेबलिटी यूनिट (एनबीएसयू) शुरू हुई थी। इसके लिए शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र सैनी यूनिट को संभाल रहे थे, लेकिन उनका सामोद सीएचसी में तबादला हो गया। इसके बाद कुछ दिनों के लिए गोविन्दगढ़ सीएचसी से डॉ. दशरथ को बच्चों की सार-संभाल के लिए लगाया गया, लेकिन बाद उन्हें भी वापस बुला लिया गया। ऐसे में ढाई माह से शिशुरोग विशेषज्ञ का पद रिक्त चल रहा है। इससे यूनिट बंद होने की नौबत आ गई। सूत्रों की मानें तो गोविन्दगढ़ से भी एक चिकित्सक को सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए लगाया गया था, लेकिन यह व्यवस्था मूर्त रूप नहीं ले पाई। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस यूनिट के चालू होने से लोगों को स्थानीय स्तर पर ही इलाज मिल जाता था, लेकिन अब चिकित्सालय प्रशासन बच्चों को रैफर कर देता है, जिससे खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
निजी चिकित्सालयों की मौज
शिशुरोग विशेषज्ञ के अभाव में न्यूबोर्न यूनिट बंद होने से नवजात बच्चों को इसमें नहीं रखा जाता है। ऐसे में प्रसव के बाद किसी बच्चे के बीमार होने पर उसे चिकित्सक जेके लॉन अस्पताल जयपुर के लिए रैफर करवा देते हैं, लेकिन अधिकतर लोग जयपुर जाने के झंझट से बचने के लिए बच्चों को इच्छा के विपरीत शहर के निजी अस्पताल में भर्ती करवा देते हैं। वहीं पिछले एक वर्ष में अस्पताल के मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र में ६८२ डिलेवरी हुई और ६ माह में एनबीएसयू यूनिट में ३५६ बच्चों का उपचार किया गया।
दो माह से धूल फांक रही मशीनें
अस्पताल की एनबीएसयू यूनिट में लगी ५ मशीन दो माह से अधिक समय से काम नहीं आने से धूल फांक रही है। ऐसे में अस्पताल को उनके मेंटिनेंस के नाम पर हजारों की राशि खर्च हो रही है। जानकार सूत्रों की मानें तो यदि इन उपकरणों को जल्द ही उपयोग में नहीं लिया तो लाखों की ये मशीनें खराब हो जाएंगी। ऐसे में यूनिट चालू होना जरूरी है।
365 बच्चों को रखा
सूत्रों के अनुसार यूनिट में जनवरी से जून 2019 तक 365 बीमार बच्चों को रखा गया। इसके तहत जनवरी में 92, फरवरी में60, मार्च 61, अप्रेल 67, मई में 52, जून में २४ बच्चों का इलाज किया, लेकिन जुलई, अगस्त व सितम्बर में एक भी बच्चे को इलाज नहीं मिला, जिससे बच्चों को रैफर करने की नौबत आई।
इनका कहना है–
अस्पताल में शिशुरोग विशेषज्ञ लगाने के लिए विभागीय अधिकारियों को अवगत करवा रखा है। जल्द ही चिकित्सक की नियुक्ति हो जाएगी। एनबीएसयू यूनिट में सामान्य बीमारी होने पर नवजात बच्चे को रखकर नर्सिंगकर्मी व अन्य चिकित्सक उपचार करते हंै। बीमारी अधिक होने पर उसे अस्पताल की एम्बुलेंस से जेके लॉन अस्पताल जयपुर भिजवाया जाता है।
-डॉ. मानप्रकाश सैनी चिकित्सा प्रभारी राजकीय सामुदायिक अस्पताल चौमूं

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