सरपंच प्रपोजल तो बना सकते हो, लेकिन पैसा नहीं निकाल सकते। एक करोड़ से उपर की राशि का प्रपोजल बनते ही वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है। ऐसा भी नहीं है कि एक पंचायत का एक करोड़ से उपर हो, जब जिले में सारे खर्चे जाएंगे तो कुल मिलाकर कोई भी खर्चा एक करोड़ से उपर ही होगा। उन्होंने कहा जब प्रधानमंत्री ने किसी काम को सरल किया तो उस काम को जलेबीनुमा बनाने का किसी को कोई हक नहीं है। जनता ने आपको चुनकर जिम्मेदारी दी है लेकिन उस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए जो ताकत चाहिए, प्रदेश सरकार उसे छीन रही है।
इस दौरान सरपंच संघ तहसील अध्यक्ष शीशराम दायमा, जवानपुरा सरपंच जयराम पलसानिया, पूर्व सरपंच हरिसिंह सिन्धु, बजरंगपुरा सरपंच रामनिवास मौर्य, जमवारामगढ़ सरपंच संघ पूर्व अध्यक्ष व गठवाड़ी सरपंच बाबूलाल मीणा, जयसिंहपुरा सरपंच सोनी देवी, लुहाकना कला सरपंच धर्मेन्द्र कुमार मीणा, पवन शर्मा जवानपुरा सहित कई सरपंच व अन्य लोग मौजूद थे।
कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार सरपंचों के 6500 करोड़ रुपए रोककर बैठी है। १४वें फाइनेंस कमीशन का पैसा जो कि केन्द्र सरकार का पैसा है, उसकी 2019 की पहली किस्त तो सरपंचों के खाते में पहुंच चुकी है, लेकिन दूसरी किस्त 1400 करोड़ की बकाया है। वर्ष 2019 का ही राज्य सरकार का 1100 करोड़ रुपया भी अभी तक नहीं दिया गया है। इसके अलावा 2020-21 के 4000 करोड़ रुपए भी अभी राज्य सरकार के पास ही है। यह भी सरपंचों को नहीं दिया गया है।