Lockdown effect: श्रमिकों की कमी, उत्पादन की रफ्तार धीमी
जयपुर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बाद लॉकडाउन के कारण बगरू रीको औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की कमी के चलते औद्योगिक इकाइयां उत्पादन की रफ्तार नहीं पकड़ पा रही हैं। कई इकाइयों में आधे मजदूर काम कर रहे हैं तो कई फैक्ट्रियों के ताले तक नहीं खुल पाए हैं। ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन भी घट रहा है जिससे प्रतिदिन करीब 100 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है। उद्यमियों की मानें तो उन्हें अब तक करीब भारी मात्रा में नुकसान हुआ है। बगरू औद्योगिक क्षेत्र का सालाना टर्न ओवर करीब छह हजार करोड़ है। सूत्रों के अनुसार बगरू क्षेत्र में बगरू रीको करीब तीन दशक पहले स्थापित किया गया था जिसमें स्टील, मार्बल, ग्रेनाइट, प्लास्टिक पैकिंग, हैंडीक्राफ्ट व रंगाई छपाई इत्यादि की इकाइयां प्रमुख रूप से कार्यरत हैं। यहां विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन होता है लेकिन लॉकडाउन के चलते यहां संचालित औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई। जिससे उद्यमी हताश हैं तथा हजारों श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं। दूसरे राज्यों के पचास फीसदी श्रमिक अपने घरों को लौट गए हैं। अब सात हजार से कम श्रमिक उद्योगों में स्टील इकाइयों की संख्या अधिक है। इसके साथ सरिया उत्पाद व फूड पैकिंग के साथ ही प्लास्टिक उत्पादों की फैक्ट्रियां का संचालन होता है जिनमें यूपी, बिहार व बंगाल के श्रमिक काम करते थे। यहां करीब 15 हजार से अधिक श्रमिक थे जिनमें अब सात हजार से भी कम श्रमिक रह गए हैैं। जिससे उत्पादन भी घटकर करीब चालीस फीसदी तक नीचे आ गया है। यहां से अमेरिका, इटली, कनाडा, इग्लेंड, दुबई, जापान, नेपाल सहित यूरोपीय देशों में मार्बल, ग्रेनाइट, रंगाई छपाई का कपड़ा व हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात होता है। श्रमिक लौटें तो चले इकाइयां उद्यमियों ने बताया कि राजस्थान में जो बाहर से श्रमिक आए हैं वे दूसरे उद्योगों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में वे इन इकाइयों में काम नहीं कर पा रहे हैं। अब इंडस्ट्री को अगर सरकार बचाना चाहती है तो दूसरे राज्यों से बात करके वहां के श्रमिक जो यहां आना चाहते हैं उन्हें राजस्थान में बुलाना चाहिए तथा इन फैक्ट्रियों में नियोजित करना चाहिए। अन्यथा फैक्ट्रियां चलना बहुत मुश्किल होगा।
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