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करौली के पत्थरों की कला का अद्भुत संगम

locationबगरूPublished: Sep 26, 2018 11:03:30 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

– पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक

memorial

करौली के पत्थरों की कला का अद्भुत संगम

सत्येन्द्र पोरवाल
धानक्या (जयपुर). पर्यटन नगरी जयपुर के निकट विश्व पर्यटन दिवस की पूर्व संध्या पर एक और नया स्थल विकसित हुआ है। पहली बार आने वाले पर्यटक को यहां चारों ओर प्रकृति की हरियाली मिलेगी व धीमी-तेज गति से गुजरती ट्रेनों की आवाज एक हिल स्टेशन-सा आनन्द देगी। गौरतलब है कि गुरुवार को विश्व पर्यटन दिवस है।
धानक्या में पर्यटन दिवस के पूर्व दिवस पर राजस्धान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्रा्रधिकरण ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली धानक्या में इस धरोहर को राष्ट्र को समर्पित किया है। यहां तक पहुंचने के लिए वर्तमान में भले ही सीमित टे्रनों का अवसर है, लेकिन जिस भव्यता के साथ 4500 वर्गमीटर में फैले इस आधुनिक स्मारक में नई व पुरानी कला का संगम देखने को मिलता है। भविष्य में यहां और अधिक ट्रेनों के ठहराव की संंभावनाएं है। पं. दीनदयाल उपाध्याय को समर्पित तीन मंजिल के वातानुकूलित स्मारक के भीतर भी दीवारों पर ट्रेन के कई डिब्बे व खिड़कियां पुरानी तर्ज पर लाल रंग के बने हुए हैं। इनमें आधुनिक शैली में आपनी धरोहर व आपणो गौरव का सचित्र वर्णन है। भव्य पैनोरमा में कारीगरों ने करौली के लाल पत्थरों से स्मारक को तैयार किया है। तीन वर्ष में तैयार हुई इस स्मारक के प्रवेश से पहले दोनों ओर कलात्मक छतरियां बनी हुई है। इसके पास ही एक शिला पर राष्ट्रगान अंकित किया गया है। इसके बीच गन मैटल की विशाल खड़ी मूर्ति यहां विशेष प्रभाव छोड़ती है।

रेलवे का बड़ा योगदान
धानक्या के रेलवे स्टेशन से सटे इस स्मारक स्थल को भारतीय रेलवे की ओर से जमीन दी गई है। जिस जगह पैनोरमा बना है उसके ठीक पहले रेलवे का पुराना क्र्वाटर बना हुआ है। जिसमें प्रवेश करते ही पं. दीनदयाल उपाध्याय का जीवन दर्शाया गया है। इसके अलावा स्मारक स्थल को पर्यटकों से भी जोडऩे के लिए पैनोरमा में फोटो गैलेरी, छोटा थ्री डी ऑडिटोरिम है। तीन मंजिले पैनोरमा में पहली, दूसरी व तीसरी मंजिल पर पहुंचने के लिए लिफ्ट भी लगी हुई है। सबसे टॉप फ्लोर पर कांंफ्रेंस हॉल है।

सडक़ मार्ग को करना होगा विकसित
वर्तमान में भले ही यहां जयपुर से सीधे ट्रेनों का ठहराव हो, लेकिन धानक्या में बने इस स्मारक तक बस परिवहन के लिए ना तो पर्याप्त संसाधन है, ना ही माकूल सडक़ें। ऐसे में यहां पर सिंवार रेलवे फाटक से चांदना फार्म हाउस होते हुए राष्ट्रीय स्मारक के लिए सडक़ बने व बसों की माकूल व्यवस्था हो तो ना सिर्फ और अधिक लोग यहां तक पहुंच सकेंगे, बल्कि जिस उद्देश्य से स्मारक बनाया गया है उसका अधिकाधिक लोग लाभ ले सकेंगे।

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