scriptरामनवमी स्पेशल : दुनिया का एकमात्र राम मंदिर जिसमें श्रीराम-लक्ष्मण की है दाढ़ी-मूंछे व चलायमान प्रतिमा | Ramnavmi Special: The only Ram temple in the world which has a beard-m | Patrika News

रामनवमी स्पेशल : दुनिया का एकमात्र राम मंदिर जिसमें श्रीराम-लक्ष्मण की है दाढ़ी-मूंछे व चलायमान प्रतिमा

locationबगरूPublished: Apr 02, 2020 10:42:36 pm

Submitted by:

Ashish Sikarwar

यूं तो पूरी दुनिया में भगवान श्रीराम के अनेक मंदिर हैं, लेकिन भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान श्रीराम का संभवत दुनिया का इकलौता मंदिर है जिसमें श्रीराम अपने अनुज श्री लक्ष्मण व माता जानकी के साथ दाढ़ी-मूंछ के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।

रामनवमी स्पेशल  : दुनिया का एकमात्र राम मंदिर जिसमें श्रीराम-लक्ष्मण की है दाढ़ी-मूंछे व चलायमान प्रतिमा

यूं तो पूरी दुनिया में भगवान श्रीराम के अनेक मंदिर हैं, लेकिन भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान श्रीराम का संभवत दुनिया का इकलौता मंदिर है जिसमें श्रीराम अपने अनुज श्री लक्ष्मण व माता जानकी के साथ दाढ़ी-मूंछ के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।

बगरु. यूं तो पूरी दुनिया में भगवान श्रीराम के अनेक मंदिर हैं, लेकिन भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान श्रीराम का संभवत दुनिया का इकलौता मंदिर है जिसमें श्रीराम अपने अनुज श्री लक्ष्मण व माता जानकी के साथ दाढ़ी-मूंछ के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।
पुरातत्वविदों के अनुसार प्राचीन विष्णु सागर के तट पर करीब 265 साल पुरा राम-जनार्दन मंदिर है। मराठा काल में वर्ष 1748 में इसका निर्माण हुआ था। प्राचीन विष्णु सागर के तट पर विशाल परकोटे से घिरा मंदिरों का समूह है। इनमें एक श्रीराम मंदिर और दूसरा विष्णु मंदिर है। इसे सवाई राजा एवं मालवा के सबूेदार जयसिंह ने बनवाया था। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी में बनी शेषशायी विष्णु तथा 10वीं शताब्दी में निर्मित गोवर्धनधारी कृष्ण की प्रतिमाएं भी लगी हैं। यहां श्रीराम, लक्ष्मण एवं माता जानकी की प्रतिमाएं वनवासी वेशभूषा व चलायमान स्थिति में हैं। इसके अलावा जयुपर में भी रामभक्त हनुमानजी का अनोखा मंदिर है जिसे बंधे के बालाजी के नाम से जाना जाता है।

जयपुर में रामभक्त का अनोखा मंदिर
जयपुर के नजदीक अजमेर रोड पर महलां के पास बन्धे के बालाजी का विशाल मंदिर है, जो बोराज नामक गांव के नजदीक है। हनुमान जी का यह मंदिर आस्था का केन्द्र है और प्राकृतिक रूप से भी रमणीय वातावरण की अनुभूति कराता है। मंदिर के इतिहास के विषय में मंदिर के पुजारी महेश कुमार शर्मा ने बताया कि काफी पहले यह स्थान पूरी तरह जंगल हुआ करता था। यह मंदिर स्थानीय लोगों के साथ ही दूर—दूर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। पहाड़ी और बंधे (छोटा तालाब) के नजदीक होने से यह प्राकृतिक रूप से काफी रमणीय स्थल है। यहां ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को विशाल मेला भरता है। इस मेले के शुरू होने की कहानी भी दिलचस्प है। पुजारी महेशकुमार शर्मा बताते हैं कि एक बार मूर्ति ने अपने आप सिंदूर छोड़ दिया। स्थानीय श्रद्धालु इसे बोरे में रख हरिद्वार ले गए। वहां के एक संत ने सलाह दी कि एक विशाल मेले का आयोजन किया जाना चाहिए। तभी से यहां ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को विशाल मेले का आयोजन होता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो