पुलिस के उच्चाधिकारियों ने नहीं समझा उचित
पुलिस कमिश्नरेट के उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देश पर चौमूं थाना पुलिस ने 11 अक्टूबर को हिन्दू धर्म उत्सव संघ के अध्यक्ष को लिखित में अवगत करवाया कि संघ ने रावण दहन की अनुमति 10 अक्टूबर को मांगी थी। दशहरा का आयोजन हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार पूरे भारतवर्ष में दशहरा पर्व पर रावण दहन कार्यक्रम 8 अक्टूबर को सम्पन्न हो चुका है। इस कारण उच्चाधिकारियों ने अनुमति देना उचित नहीं समझा है। 11 अक्टूबर को सिर्फ कला का प्रदर्शन करने के मकसद से रावण के पुतले का प्रदर्शन किया जा सकता है। आदेश की अवहेलना पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी, जिसके चलते संघ पदाधिकारियों ने पुतले का प्रदर्शन किया, दहन नहीं किया।
फिर यहां कैसे हो रहा पुतलों का दहन
जयपुर जिले के सांभर उपखंड क्षेत्र के करणसर में 11 अक्टूबर को आयोजित दशहरा मेले में रावण, कुंभकर्ण एवं मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। सीकर जिले के खाटूश्यामजी में श्रीनृसिंह लीला समिति खाटूश्यामजी की ओर से 13 अक्टूबर को नृसिंह लीला में 24 अवतारों की झांकी सजाई गई। इससे पहले राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में रावण, मेघनाद एवं कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया गया। 15 अक्टूबर को खेड़ी मिलक में रावण के पुतले का दहन किया गया। 17 अक्टूबर को बाघावास एवं 20 अक्टूबर को बासड़ी खुर्द में रावण के पुतले का दहन होगा।
– यदि सरकार हाड़ौता में बनाए गए रावण के पुतले का दहन करवाने की अनुमति नहीं देगी, तो वे जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही पुतले का दहन करवाएंगे। क्योंकि रावण के पुतले को ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है।
रामलाल शर्मा, विधायक चौमूं
रावण दहन नहीं होना दुखद है। हाड़ौता गांव के ग्रामवासी और आसपास के लोगों में इसको लेकर भारी उत्साह था। हमने इसके पोस्टर का विमोचन भी किया था और रावण जलना चाहिए था। प्रशासन ने स्वीकृति नहीं दी, जिसका हमें भी खेद है। इस मामले में पुलिस कमिश्नर से मिलकर रावण के पुतले का दहन करवाने की कोशिश करेंगे।
भगवान सहाय सैनी, पूर्व विधायक
बड़ी मेहनत से हाड़ौता में रावण का पुतला बनाया गया था। इसके दहन की अनुमति के लिए जल्द ही उप मुख्यमंत्री एवं पुलिस कमिश्नर जयपुर से मिलूंगी। उम्मीद है कि सरकार इसकी अनुमति देगी, क्योंकि ये राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि धर्म से जुड़ा मसला है।
रूक्ष्मणि कुमारी सिंह, पीसीसी सदस्य, चौमूं