बगरू

दूसरी जगह रावण दहन, चौमूं में कैसा भय?

हाड़ौता में हिन्दू धर्म उत्सव संघ की ओर से बनाए गए रावण के पुतले के दहन को यह कहते हुए स्वीकृति प्रदान नहीं दी, कि देशभर में रावण दहन कार्यक्रम विजयदशमी को हो चुके हैं

बगरूOct 15, 2019 / 08:55 pm

Ramakant dadhich

दूसरी जगह रावण दहन, चौमूं में कैसा भय?

चौमूं. जयपुर व सीकर जिले के विभिन्न गांवों में विजयदशमी के बाद भी न सिर्फ दहशरा मेला, नृसिंह लीला का आयोजन किया जा रहा है, बल्कि रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन भी किया जा रहा है। इसके विपरीत पुलिस कमिश्नरेट ने चौमूं के हाड़ौता में हिन्दू धर्म उत्सव संघ की ओर से बनाए गए रावण के पुतले के दहन को यह कहते हुए स्वीकृति प्रदान नहीं दी, कि देशभर में रावण दहन कार्यक्रम विजयदशमी को हो चुके हैं, जिसके चलते अब तक रावण के पुतले का दहन नहीं हो पाया। इससे जनभावना भी आहत हो रही है। दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन के दोहरा रवैया सामना आ रहा है।
जानकारी के अनुसार हाड़ौता में हिन्दू धर्म उत्सव संघ की ओर से पहली बार रावण दहन के पुतले का निर्माण के बाद विजयदशमी के अवसर पर दहन करने का निर्णय किया गया था। इसके तहत गणेश चतुर्थी से आर्टिस्ट मुकेश स्वामी के नेतृत्व में पुतले का निर्माण कार्य शुरू किया था। इसका निरीक्षण विधायक रामलाल शर्मा एवं पूर्व विधायक भगवानसहाय सैनी ने अलग-अलग समय करके पुतला बनाने की कला को सराहा भी। संघ की ओर से इस पुतले का दहन विजयदशमी के दो दिन बाद 10 अक्टूबर को चौमंू में वीर हनुमान मार्ग स्थित खेल स्टेडियम में करना तय किया। पुलिस प्रशासन से भी संघ की ओर से २५ सितम्बर को अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लगाया गया, लेकिन ऐनवक्त तक इसकी अनुमति नहीं दी गई। इससे १० अक्टूबर को रावण दहन की तैयारियां धरी रह गई। राजस्थान पत्रिका ने इस मामले को उठाया तो 11 अक्टूबर को पुलिस ने दहन के बजाय रावण के पुतले की कला प्रदर्शन करने की अनुमति दी। इसका प्रदर्शन भी कर दिया, लेकिन दहन नहीं हुआ। इसे लेकर न सिर्फ आयोजन समिति, बल्कि आमजन में सरकार के खिलाफ रोष बना हुआ है। हिन्दू धर्म उत्सव संघ के अध्यक्ष कपिल स्वामी ने बताया कि रावण दहन कार्यक्रम को अनुमति नहीं देने का कारण राजनीति है।

पुलिस के उच्चाधिकारियों ने नहीं समझा उचित
पुलिस कमिश्नरेट के उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देश पर चौमूं थाना पुलिस ने 11 अक्टूबर को हिन्दू धर्म उत्सव संघ के अध्यक्ष को लिखित में अवगत करवाया कि संघ ने रावण दहन की अनुमति 10 अक्टूबर को मांगी थी। दशहरा का आयोजन हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार पूरे भारतवर्ष में दशहरा पर्व पर रावण दहन कार्यक्रम 8 अक्टूबर को सम्पन्न हो चुका है। इस कारण उच्चाधिकारियों ने अनुमति देना उचित नहीं समझा है। 11 अक्टूबर को सिर्फ कला का प्रदर्शन करने के मकसद से रावण के पुतले का प्रदर्शन किया जा सकता है। आदेश की अवहेलना पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी, जिसके चलते संघ पदाधिकारियों ने पुतले का प्रदर्शन किया, दहन नहीं किया।

फिर यहां कैसे हो रहा पुतलों का दहन
जयपुर जिले के सांभर उपखंड क्षेत्र के करणसर में 11 अक्टूबर को आयोजित दशहरा मेले में रावण, कुंभकर्ण एवं मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। सीकर जिले के खाटूश्यामजी में श्रीनृसिंह लीला समिति खाटूश्यामजी की ओर से 13 अक्टूबर को नृसिंह लीला में 24 अवतारों की झांकी सजाई गई। इससे पहले राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में रावण, मेघनाद एवं कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया गया। 15 अक्टूबर को खेड़ी मिलक में रावण के पुतले का दहन किया गया। 17 अक्टूबर को बाघावास एवं 20 अक्टूबर को बासड़ी खुर्द में रावण के पुतले का दहन होगा।
इनका कहना है….
– यदि सरकार हाड़ौता में बनाए गए रावण के पुतले का दहन करवाने की अनुमति नहीं देगी, तो वे जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही पुतले का दहन करवाएंगे। क्योंकि रावण के पुतले को ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है।
रामलाल शर्मा, विधायक चौमूं
इनका कहना है
रावण दहन नहीं होना दुखद है। हाड़ौता गांव के ग्रामवासी और आसपास के लोगों में इसको लेकर भारी उत्साह था। हमने इसके पोस्टर का विमोचन भी किया था और रावण जलना चाहिए था। प्रशासन ने स्वीकृति नहीं दी, जिसका हमें भी खेद है। इस मामले में पुलिस कमिश्नर से मिलकर रावण के पुतले का दहन करवाने की कोशिश करेंगे।
भगवान सहाय सैनी, पूर्व विधायक
इनका कहना है
बड़ी मेहनत से हाड़ौता में रावण का पुतला बनाया गया था। इसके दहन की अनुमति के लिए जल्द ही उप मुख्यमंत्री एवं पुलिस कमिश्नर जयपुर से मिलूंगी। उम्मीद है कि सरकार इसकी अनुमति देगी, क्योंकि ये राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि धर्म से जुड़ा मसला है।
रूक्ष्मणि कुमारी सिंह, पीसीसी सदस्य, चौमूं
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.