script14 साल बाद भी सूचना का अधिकार अधूरा | Right to information remains incomplete even after 14 years | Patrika News

14 साल बाद भी सूचना का अधिकार अधूरा

locationबगरूPublished: Oct 11, 2019 11:29:41 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

अधिकारियों एवं कार्मिकों की अनदेखी के कारण इस अधिनियम की पकड़ अब भी आम आदमी की पहुंच से बाहर है।

14 साल बाद भी सूचना का अधिकार अधूरा

14 साल बाद भी सूचना का अधिकार अधूरा

चौमूं. देश में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को लागू हुए शनिवार को 14 साल हो जाएंगे, लेकिन जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों एवं कार्मिकों की अनदेखी के कारण इस अधिनियम की पकड़ अब भी आम आदमी की पहुंच से बाहर है। राजस्थान पत्रिका ने शुक्रवार को उपखंड मुख्यालय के विभिन्न सरकारी कार्यालयों में जाकर इसकी सच्चाई जानने की कोशिश की तो परिणाम निकला कि अधिकतर कार्यालयों में अधिनियम से जुड़ी जानकारी ना तो दीवारों पर लिखी हुई थी और ना ही बोर्ड पर लिखी थी। इसके बावजूद इसे कभी भी गम्भीरता से नहीं लिया गया।
जानकार सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार ने सरकारी कामकाज एवं योजनाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम की धारा 4 (1) के तहत अधिनियम लागू होने के 120 दिनों में प्रत्येक लोक प्राधिकारी को अपने कार्यालय के संगठन की विशिष्ठयां, कृत्य, कर्तव्य , अपने अधिकारों, कर्मचारियों को शक्तियां व उत्तरदायित्व की जानकारी लिखी जानी चाहिए थी, लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है। इससे आम-आदमी को सूचना का अधिकार अधिनियम को समुचित रूप से लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ये सूचना लिखना है जरूरी
सूत्रों की मानें तो सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत लोक सूचना अधिकारी का पदनाम व पता, सूचना प्रदान किए जाने का समय, शुल्क भुगतान व शुल्क का विवरण, अपील का पदनाम व डाक का पता, राज्य सूचना आयोग के डाक का पता, आवेदन स्वीकार करने वाले कर्मचारी का नाम व पदनाम आदि की पूरी जानकारी प्रत्येक सरकारी कार्यालय में लिखी होनी चाहिए, लेकिन 14 साल पूरे होने के बावजूद अधिनियम की पालना एवं इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
यहां की जा रही अनदेखी
जांच पड़ताल में सामने आया कि नगरपालिका चौमूं, जलदाय विभाग चौमूं, जलदाय विभाग गोविन्दगढ़ खंड मुख्यालय चौमूं, कृषि उपज मंडी, पुलिस थाना, तहसील कार्यालय, एसीएम कार्यालय, राजकीय चिकित्सालय, यूनानी चिकित्सालय, होम्योपैथी चिकित्सालय, पशु चिकित्सालय वार्ड-4, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उपखंंड कार्यालय, सार्वजनिक निर्माण कार्यालय, एसीपी कार्यालय, सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय, विद्युत निगम कार्यालय, सीडीपीओ कार्यालय, उप रजिस्ट्रार, परिवहन कार्यालय समेत उपखंड स्तर पर संचालित अधिकतर कार्यालयों में अधिनियम की जानकारी लिखी हुई नजर नहीं आई। मौके पर मिले कार्मिकों से बातचीत की तो किसी ने कहा कि पहले लिखी हुई थी, लेकिन अब मिट गया होगा।
यहां ये लिखा मिला
नगरपालिका कार्यालय भवन की दीवार पर राजस्थान जनसुनवाई का अधिकारी अधिनियम, 2012 के अधीन सुनवाई में संबंधित सूचना की जानकारी तो लिखी मिली, लेकिन सूचना के अधिकार अधिनियम की जानकारी लिखी नहीं मिली। इसी तरह तहसील परिसर में राजस्थान सूचना का अधिकार अधिनियम 2000, राज. सूचना का अधिकार नियम 2001 की जानकारी लिखी मिली, जबकि वर्ष 2005 में केन्द्र सरकार की ओर से देशभर में लागू किए गए सूचना अधिकार अधिनियम की जानकारी लिखी नजर नहीं आई। कई दफ्तरों में गारंटी अधिनियम की जानकारी लिखी मिली। (का.सं.)
इनका कहना है…..
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की जानकारी सभी सरकारी कार्यालयों में प्राथमिकता से लिखवाया जाएगा, जिससे आम आदमी को इसकी समुचित जानकारी मिल सके।

हिम्मत सिंह, उपखंड अधिकारी, चौमूं

इनका कहना है….
अधिनियम की जानकारी सरकारी कार्यालयों में लिखवाना जरूरी है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण अधिकतर स्थानों पर नहीं लिखवाया जाता है, जिससे जरूरतमंद लोगों को सूचना एकत्र करने में परेशानी आती है।
कृष्णदत्त शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता
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