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भामाशाहों के भरोसे बना दिए शेेल्टर हाउस

locationबगरूPublished: Mar 31, 2020 10:28:51 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

– प्रशासनिक अधिकारियों पर खानापूर्ति का आरोप

भामाशाहों के भरोसे बना दिए शेेल्टर हाउस

भामाशाहों के भरोसे बना दिए शेेल्टर हाउस

गोविन्दगढ़ . जयपुर जिले की सीमा मेें एवं अन्य जिलों से जयपुर जिले मेें आए बेघर, बेसहारा, घूमंतु व मजदूरों के लिए जिला कलक्टर के निर्देश पर प्रशासन ने सीकर जिले से लगती सीमा मेें ग्राम ढोढसर मेें रतन देवी महाविद्यालय, रतन देवी महिला महाविद्यालय, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजकीय बालिका प्राथमिक विद्यालय को अधिग्रहित कर शेल्टर हाउस बनाए हैं। लेकिन शेल्टर हाउस मेें प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिलने के कारण शेल्टर भामाशाहों के भरोसे चल रहे हैं। स्थानीय निवासियों की मानें तो शनिवार से ही प्रशासनिक अधिकारियों का ग्राम ढोढसर मेें आना जाना लगा हुआ है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आकर खानापूर्ति कर चले जाते हैं। जबकि शेल्टर हाउस मेें रह रहे लोगों की रहने, खाने सहित अन्य जरूरत की चीजों की व्यवस्था भामाशाहों के सहयोग से की जा रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो पुलिस का सहयोग जरूर सराहनीय है।
तीन दिन में 41 जनों को ठहराया
रतन देवी कॉलेज मेें बने शेल्टर हाउस में २९ मार्च को ३५ जने आए थे । जिनमेें से १५ महिलाएं एवं बालिकाएं है। जबकि २० पुरुष एवं बालक है। ये सभी मध्यप्रदेश के गुना जिले सहित आसपास के रहने वाले हैं। ये सीकर जिले के भटोड़ गांव मेें प्याज की खुदाई एवं कटाई करने के लिए आए थे। मंगलवार को ६ अन्य पुरुषों को शेल्टर हाउस भेजा गया है। जिनमेें ५ जने हरियाणा के सिरसा जिले के हैं जो टोंक जिले मेें मालपुरा-डिग्गी मेें रिंग रोड पर मजदूरी करते थे। एक जना बीकानेर का रहने वाला है, जो दिल्ली से आया है। ये सभी मंगलवार को सीकर जिले की सीमा मेें प्रवेश कर रहे थे। जिन्हें रींगस थाना पुलिस ने सीमा सील होने के कारण आगे नहीं जाने दिया।
शेल्टर हाउस मेें रहने वालों की व्यवस्था के लिए महाविद्यालय स्टाफ, सरकारी शिक्षकों एवं पंचायत कार्मिकों की तीन शिफ्टों मेें ड्यूटी लगाई गई है। यहां ठहरे लोगों की आने से पूर्व चिकित्सकों द्वारा स्क्रीनिंग की गई थी तथा रोजाना स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है।

सुविधाओं पर जताया संतोष
यहां महिलाओंं से जब शेल्टर हाउस की सुविधाओं के बारे मेें पूछा तो बताया कि यहां किसी प्रकार की असुविधा नहीं है। लेकिन सरकार हमें गांव जाने नहीं दे रही। गांव मेें हमारे बच्चे एवं अन्य परिजन किस हालात मेें हमें इसकी जानकारी नहीं है।
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