400 साल पुरानी कला संकट में
बगरू हाथ ठप्पा छपाई का काम कोविड़19 की वजह से बंद पड़ा हुआ है। करीब 400 साल पुरानी इस कला को करने वाले यहां करीबन पांच सौ परिवार तो छीपा समाज के लोग है। छपाई के इस कार्य में करीब दस हजार लोग जुड़े हुए हैं। इसमें काफी लोग जॉब वर्क का काम करते हैं जोकि मुख्य शहरों के व्यापारियों द्वारा कपड़ा उपलब्ध करवा कर प्रिंट करवाया जाता है। यहां पर मुख्यत: मजदूर वर्ग के लोग दैनिक मजदूरी के हिसाब से कार्य करते हैं। मुख्यत: यहां के स्थानीय छीपा समाज के लोग इस कार्य को करते हैं। लॉकडाउन में आर्टिजन स्वयं अपने घर पर कार्य करता है परंतु उसके पास जो आर्डर है वह उनको पूरा तो कर चुका है लेकिन उनको कैसे भेजे जिससे मजदूरी प्राप्त कर सके और अपना घर खर्च चला सके।
बगरू हाथ ठप्पा छपाई का काम कोविड़19 की वजह से बंद पड़ा हुआ है। करीब 400 साल पुरानी इस कला को करने वाले यहां करीबन पांच सौ परिवार तो छीपा समाज के लोग है। छपाई के इस कार्य में करीब दस हजार लोग जुड़े हुए हैं। इसमें काफी लोग जॉब वर्क का काम करते हैं जोकि मुख्य शहरों के व्यापारियों द्वारा कपड़ा उपलब्ध करवा कर प्रिंट करवाया जाता है। यहां पर मुख्यत: मजदूर वर्ग के लोग दैनिक मजदूरी के हिसाब से कार्य करते हैं। मुख्यत: यहां के स्थानीय छीपा समाज के लोग इस कार्य को करते हैं। लॉकडाउन में आर्टिजन स्वयं अपने घर पर कार्य करता है परंतु उसके पास जो आर्डर है वह उनको पूरा तो कर चुका है लेकिन उनको कैसे भेजे जिससे मजदूरी प्राप्त कर सके और अपना घर खर्च चला सके।
छपाई का विदेशी कनेक्शन
यहां की कला की मांग विदेशों में बहुतायत होने से विदेशी आर्डर पर निर्भर करता है। मजदूरी का जो कार्य मिलता है वह बंद पड़ा हुआ है, नए आर्डर भी नहीं मिल पा रहे हैं जो पुराने ऑर्डर थे वह पूर्ण हो चुके थे।
यहां की कला की मांग विदेशों में बहुतायत होने से विदेशी आर्डर पर निर्भर करता है। मजदूरी का जो कार्य मिलता है वह बंद पड़ा हुआ है, नए आर्डर भी नहीं मिल पा रहे हैं जो पुराने ऑर्डर थे वह पूर्ण हो चुके थे।
इस कला से जुड़े हैं पांच सौ परिवार
कस्बे में हाथ ठप्पा छपाई उद्योग जगत में कस्बे के करीब पांच सौ छीपा समाज परिवार अपने घर पर कारखाना लगाकर कार्य से जुड़े हुए हैं। वही इस छपाई उद्योग में अन्य समाज के ड्राईक्लीन करने वाले, फर्निसिंग करने वाले, पैंकिग करने वाले तथा मैटेरियल सप्लायर्स आदि कुल मिलाकर दस हजार लोग इस कार्य से जुड़े हुए हैं। लॉकडाउन ने इन सब पर असर डाला है।
नेशनल अवार्डी सूरजनारायण तितानवाला, दिगम्बर मेड़तवाल, श्रीबल्लभ कोठीवाल, भंवरीदेवी, लालचन्द डेरावाला, नूतन उदयवाल, महेश दौसाया, रामबाबू छीपा व अशोक नागर आदि ने बताया कि अभी हालात बहुत ही बदतर है। इस कार्य के पुनरुत्थान में काफी समय लग सकता है, क्योंकि यह व्यापार विदेशों पर आधारित अधिक है। सरकार को यहां के दस्तकारों के सहायता देनी चाहिए।
कस्बे में हाथ ठप्पा छपाई उद्योग जगत में कस्बे के करीब पांच सौ छीपा समाज परिवार अपने घर पर कारखाना लगाकर कार्य से जुड़े हुए हैं। वही इस छपाई उद्योग में अन्य समाज के ड्राईक्लीन करने वाले, फर्निसिंग करने वाले, पैंकिग करने वाले तथा मैटेरियल सप्लायर्स आदि कुल मिलाकर दस हजार लोग इस कार्य से जुड़े हुए हैं। लॉकडाउन ने इन सब पर असर डाला है।
नेशनल अवार्डी सूरजनारायण तितानवाला, दिगम्बर मेड़तवाल, श्रीबल्लभ कोठीवाल, भंवरीदेवी, लालचन्द डेरावाला, नूतन उदयवाल, महेश दौसाया, रामबाबू छीपा व अशोक नागर आदि ने बताया कि अभी हालात बहुत ही बदतर है। इस कार्य के पुनरुत्थान में काफी समय लग सकता है, क्योंकि यह व्यापार विदेशों पर आधारित अधिक है। सरकार को यहां के दस्तकारों के सहायता देनी चाहिए।
इनका कहना है…
विदेशियों के सभी आर्डर निरस्त हो जाने से काफी नुकसान पहुंचा है। करीब एक -दो साल तो बाजार पूरी तरह से उठ जाने की कोई उम्मीद नहीं है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हंै।
कृष्णमुरारी छीपा, अध्यक्ष
बगरू हाथ ठप्पा छपाई दस्तकार सरंक्षण एवं विकास समिति बगरू
विदेशियों के सभी आर्डर निरस्त हो जाने से काफी नुकसान पहुंचा है। करीब एक -दो साल तो बाजार पूरी तरह से उठ जाने की कोई उम्मीद नहीं है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हंै।
कृष्णमुरारी छीपा, अध्यक्ष
बगरू हाथ ठप्पा छपाई दस्तकार सरंक्षण एवं विकास समिति बगरू
इनका कहना है…
– सरकार द्वारा अभी चलाने की कोई परमिशन नहीं है अगर परमिशन भी मिल जाती है तो लेबर नहीं है। अगर फिर भी कैसे तैसे माल तैयार भी कराए तो फिर इसे बेचेंगे कहां। अधिकतर तो माल का निर्यात विदेशों में किया जाता रहा है।
पद्मश्री रामकिशोर छीपा ड़ेरावाला
– सरकार द्वारा अभी चलाने की कोई परमिशन नहीं है अगर परमिशन भी मिल जाती है तो लेबर नहीं है। अगर फिर भी कैसे तैसे माल तैयार भी कराए तो फिर इसे बेचेंगे कहां। अधिकतर तो माल का निर्यात विदेशों में किया जाता रहा है।
पद्मश्री रामकिशोर छीपा ड़ेरावाला
इनका कहना है… – विश्व विख्यात हाथ ठप्पा छपाई का कार्य जा प्राकृतिक रंगों से ही किया जाता है यह पूर्णतया विदेशी व्यापार पर ही निर्भर है जो अभी लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। बगरू में करीब दस हजार लोगों के रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
विजेन्द्र कुमार छीपा, निदेशक
बगरू टैक्सटाइल व पूर्व सचिव बगरू हाथ ठप्पा छपाई दस्तकार सरंक्षण एवं विकास समिति बगरू
विजेन्द्र कुमार छीपा, निदेशक
बगरू टैक्सटाइल व पूर्व सचिव बगरू हाथ ठप्पा छपाई दस्तकार सरंक्षण एवं विकास समिति बगरू