अंदेशा था कि आरोपी ने उसकी बहन के साथ गलत संबंध बनाकर अपहरण किया। बाद में गिरफ्तारी होने पर आरोपी ने जुर्म कबूल लिया। इसके बाद न्यायाधीश दलीप सिंह ने आरोप सिद्ध होने पर अभियुक्त सुरेश कुमार मीणा को अलग-अलग धाराओं में 10 वर्ष का कठोर कारावास व दो लाख रुपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया।
बलात्कार के आरोपी को सुनाई थी मौत की सजा
कुछ दिनों पहले ही दूदू के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने छह साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या करने वाले अभियुक्त महेन्द्र कुमार तामडिया को फांसी की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश शिल्पा समीर ने 27 वर्षीय इस अभियुक्त पर आठ लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने कहा कि पीडिता छह साल की बच्ची थी, जिसके लिए जीवन मात्र खेल था। उसके नन्हे शरीर को अभियुक्त ने निष्ठुरता से रोंदकर उसकी हत्या कर दी। वह इतनी छोटी थी कि अभियुक्त का विरोध भी नहीं कर सकती थी।
अभियुक्त पीडित पक्ष का परिचित था। जिसने विश्वास का दुरुपयोग कर परिचित होते हुए भी मृतका के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि हत्या और दुष्कर्म के मामलों में आमतौर पर कोई चश्मदीद गवाह नहीं होता है। ऐसे में केवल परिस्थित जन्य साक्ष्य की श्रृंखला के आधार पर ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है। प्रकरण में गवाहों ने पीडिता को अंतिम बार अभियुक्त के साथ अपने घर देखा और बाद में उसे उनका बकरा और केतली ले जाते हुए भी देखा है। जिससे साबित है कि अभियुक्त ने ही पीडिता के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या की है। इसके अलावा चिकित्सीय साक्ष्य भी अभियुक्त के खिलाफ हैं।