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सीएचसी का सपना अधूरा, कौन समझेमहिलाओं की परेशानी

जोबनेर चिकित्सालय में नहीं महिला चिकित्सक।

बगरूJan 28, 2018 / 11:32 pm

Teekam saini

जोबनेर (जयपुर). चिकित्सा सेवाओं में सुधार की कस्बेवासियों की उम्मीदों पर हर बजट में पानी फिर जाता है। स्थानीय लोगों की कई वर्षों से कस्बे की पीएचसी की क्रमोन्नत्ति की मांग है, यह तो पूरी नहीं हो रही है, लेकिन पीएचसी में वर्तमान में पर्याप्त स्टाफ व संसाधनों का अभाव है। जानकारी अनुसार राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र की स्थापना आजादी के बाद ही 1956 में जीवराज बरडिया की ओर से दान में दिए भवन से हो गई थी एवं 1976 में भामाशाह भीवाराम ने केन्द्र को नया भवन दान कर दिया था, लेकिन पिछले 10 वर्ष से भी अधिक समय गुजर जाने के बावजूद अस्पताल में एक महिला चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो पाना जनप्रतिनिधियों के वादों को दर्पण दिखा रहा है। जबकि आसपास की करीब 20 पंचायतों, 150 गांव-ढाणियों की लगभग 65 हजार आबादी जिनमें करीब 30 हजार महिलाएं है चिकित्सा के लिए इस प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर निर्भर है। 30 हजार महिलाओं के लिए यहां महिला चिकित्सक नहीं होना चिंताजनक है। अस्पताल में प्रसूति कक्ष के अभाव में एक कमरे को ही प्रसूति कक्ष के रूप में काम में लिया जा रहा है। चिकित्सालय में महिला और शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं होने के चलते लगभग 20 किमी दूर से आने वाली महिला रोगियों को चिकित्सा हेतु निजी चिकित्सालयों की शरण लेनी पड़ती है। अस्पताल का भवन भी मरीजों के लिए पर्याप्त नहीं है। अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं होने से गंभीर मरीजों को कई रेशानी का सामना करना पड़ता है।
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दो चिकित्सकों के भरोसे व्यवस्था
कस्बे का राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र में वर्तमान में 2 चिकित्सक हैं, जिनमें एक एसएमओ व एक एमओ है। दो पद जीएनएम के हैं, जो भरे हुए हैं। एक पद महिला स्वास्थ्य दर्शिका का है। एक पद लैब टेक्निशियन का है। एक पद फार्मेसिस्ट का है। दो पद एएनएम व एक पद एमपीडब्ल्यू का है। ये सभी पद भरे हुए हैं। इस चिकित्सा केन्द्र के अन्तर्गत 8 सब सेन्टर हैं जो डेहरा, हरिपुरा, खेजड़ावास, बस्सी नागान, ढाणी नागान, बबेरवालों की ढाणी, ड्योढी व भोजपुरा में है। जहां एएनएम कार्यरत है।
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नए भवन की तलाश में बदहाल चिकित्सालय
वहीं कस्बे का चिकित्सालय वर्तमान में नए भवन की राह तक रहा है। चिकित्सालय कस्बे के मध्य में स्थित है, लेकिन सड़कें सकड़ी होने के चलते वाहनों को बाजार से अस्पताल पहुंचने में आधा घण्टा लग जाता है। ऐसे में आपातकालीन मरीजों की जान पर बन आती है। कस्बे की जनसंख्या व आस-पास के क्षेत्र के मरीजों की संख्या को देखते हुए अब यह भवन पर्याप्त नहीं है भवन की स्थिति भी ठीक नही है एवं इसे मरम्मत की आवश्यकता है। अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर नहीं हैं। पिछले 2 वर्ष से एक्सरे मशीन तो है, लेकिन टेक्निशियन नहीं है। चिकित्सालय में महिला और शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है। अस्पताल में जांच सुविधा उपलब्ध ना होने पर मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ती है।
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