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Agricultural news: फसलों में फड़का, किसानों का दिल ‘धड़का’

locationबगरूPublished: Jul 26, 2019 11:31:35 pm

Submitted by:

Teekam saini

The worry of farmers increased धरती पुत्रों की बढ़ी चिन्ता, खरीफ की फसल के उत्पादन होगा प्रभावित

Agricultural news

Agricultural news: फसलों में फड़का, किसानों का दिल ‘धड़का’

गोविन्दगढ़ (Agricultural news). पंचायत समिति गोविन्दगढ़ के निवाणा सहायक कृषि अधिकारी क्षेत्र में फड़का कीट की प्रारम्भिक अवस्था नजर आने के बाद किसानों की नींद उड़ गई है। इस कीट से खरीफ की बाजरा, ज्वार, मक्का समेत अन्य फसलों में भी नुकसान होने की पूरी आशंका रहती है। निवाणा क्षेत्र तो बानगी है। यदि कृषि विशेषज्ञ पंचायत समिति क्षेत्र का दौरा करके जायजा लेंगे तो अन्य स्थानों पर भी फड़का कीट नजर आ सकता है।
जानकारी के अनुसार आषाढ व सावन मास वर्षाकाल में शामिल है। हालांकि इस बार आषाढ़ मास मेें बारिश कम हुई है। सावन का महीना शुरू हो चुका है। पहले दिन ही बारिश के दस्तक देने एवंं उमस बढ़ जाने के साथ खरीफ की फसल (Agricultural news) को फड़का कीट चट कर रहा है, जिससे खरीफ की फसल के उत्पादन मेें किसानों को नुकसान की आंशका सताने लगी है। कृषि अधिकारियों की मानें तो बाजरा, ज्वार एवं मक्का मेें फड़का कीट से अधिक नुकसान की आशंका रहती है। फड़का कीट के कारण ये फसलें चीर-चीर होकर जल जाती है। इसी तरह मूंग, मोठ की फसल मेें भी फड़का कीट नुकसान पहुचाता है। बारिश की कमी एवं फड़का कीट के कारण फसल की बढ़वार रूक जाती है तथा उत्पादन प्रभावित होता है। इसका प्रकोप मानसून की वर्षा के 15 से 20 दिन बाद शुरू होता है, अक्टूम्बर तक रहता है। किसानों (The worry of farmers increased) ने बताया कि फसल के उगने के साथ ही कीट का प्रकोप नजर आने लगा है।
मादा कीट छोड़ती है अंडे
कृषि पर्यवक्षक करण सिंह शेखावत ने बताया कि मादा कीट सितम्बर व अक्टूबर माह में भूमि मेें अपने अण्डे छोड़ती है। भूमि मेें पड़े इन अण्डों से मानसून के 15 से 20 दिन बाद जून एवं जुलाई मेें पंख रहित शिशु कीट निकलते हैं। फड़का सर्वभक्षी कीट है, जिसकी तीन अवस्थाएं पाई जाती हैं। यह अण्डा, निम्फ, एवं प्रोढ़ अवस्था फसलों को नुकसान पहुचाती है। खरीफ की फसल को सबसे अधिक प्रोढ़ अवस्था नुकसान पहुंचाती है।
200 हैक्टेयर फसल प्रभावित
कृषि अधिकारियों की मानें मो पिछले वर्ष फड़का कीट के कारण जयपुर जिले के आमेर, अचरोल, शाहपुरा, चौमूं, कालवाड़, निवाणा, बिचून सहित आस-पास के क्षेत्र मेें अधिक रहा था। इन्ही क्षेत्रों मेें इस वर्ष पुन: इस कीट के प्रकोप की प्रबंल संभावना है। सूत्रों के अनुसार निवाणा सहायक कृषि अधिकारी क्षेत्र के अमरपुरा, बरवाड़ा, फतेहगढ़, नांगलभरड़ा सहित अन्य गावों मेें खेतों मेें उगी फसलों में फड़का की प्रारम्भिक निम्फ अवस्था नजर आई है। इस कीट से लगभग 200 हैक्टेयर (200 hectare affected crop) क्षेत्र मेें खरीफ की फसल प्रभावित होने के बारे में जानकारी सामने आई है।
ये हे बचाव का तरीका
फड़का कीट के शिशु अवस्था मेें नियंत्रण के लिए खेत (Agricultural news) में जगह-जगह 30 से 45 सेमी चौड़ी एवं 60 सेमी गहरी खाई खोद कर इन्हें नियंत्रण करें। वर्तमान मेें यह मेड़ पर उगे खरपतवारों से फैलता है। खरपतवारों पर क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किग्रा प्रति. हैक्टेयर, मैलाथियान 5 प्रतिशत डस्ट पाउडर 25 किग्रा प्रति हैक्टेयर से भुरकाव करें। प्रोढ कीट के लिए खेत के पास बिजली के बल्ब या पेट्रोमैक्स लैम्प, लालटेन, जलाएं तथा इसके नीचे मिट्टी का तेल युक्त पानी परात मेें भर दें। रात मेें आने वाले कीट पानी में गिर कर नष्ट हो जाएंगे। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर नष्ट हो जाएंगे। जिन क्षेत्रों मेें इस कीट की संभावना है। किसान निरन्तर निगरानी करे। कीट दिखाई देने पर क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किग्रा प्रति. हैक्टेयर से भुरकाव करें।
दवा पर दी जाती है सब्सिडी
कृर्षि पर्यवेक्षक शेखावत ने बताया कि जहां फड़का कीट अधिक है, वहां रोग नियंत्रण के लिए सब्सिडी पर विभाग की ओर से दवा उपलब्ध करवाई जाती है। दवा उपलब्ध करवाने से पूर्व विभाग के विशेषज्ञों द्वारा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया जाता है। प्रभावित क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार कर ली है। प्रभावित क्षेत्र मेें सब्सिडी पर दवा उपलब्ध करवाने के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

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