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ट्रांसफॉर्मर चोरों ने पांच साल में लगाया इतने करोड़ का फटका

विद्युत वितरण निगम के ट्रांसफॉर्मरों को चोरों द्वारा कॉपर एवं ऑयल के लिए चोरी कर ले जाने के बाद सबसे अधिक परेशानी आमजन भुगता है।

बगरूOct 05, 2020 / 09:05 pm

Ashish Sikarwar

विद्युत वितरण निगम के ट्रांसफॉर्मरों को चोरों द्वारा कॉपर एवं ऑयल के लिए चोरी कर ले जाने के बाद सबसे अधिक परेशानी आमजन भुगता है।

जयपुर/गोविंदगढ़. विद्युत वितरण निगम के ट्रांसफॉर्मरों को चोरों द्वारा कॉपर एवं ऑयल के लिए चोरी कर ले जाने के बाद सबसे अधिक परेशानी आमजन भुगता है।
निगम अधिकारियों की मानें तो 11 केवीए के ट्रांसफॉर्मरों की कीमत ४५ हजार से शुरू होती है। ऐसे में पांच साल में जयपुर वृत्त के २९ सहायंक अभियंता कार्यालयों में चोरों ने २४३१ ट्रांसफॉर्मरों को निशाना बनाया है। ऐसे में निगम को करीब साढ़े १५ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जो किसी न किसी रूप मेें उपभोक्ताओं से ही वसूला जा रहा है। विद्युत निगम सूत्रों की मानें तो ट्रांसफॉर्मर चोरी होने के बाद नया लगाने में 10 से 12 दिन लग जाते हैं। तब तक उपभोक्ता बिना बिजली के रहना पड़ता है। ट्रांसफॉर्मर चेारी होने के बाद अधिकारी जांच पड़ताल के बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं। रिपोर्ट के बाद निगम के स्थानीय अधिकारी रिपोर्ट के साथ मीमो बनाकर एक्सईन स्तर के अधिकारी के पास भेजता है। वहां से मीमो एवं रिपोर्ट के आधार पर अधीक्षण अभियंता से ट्रांसफॉर्मर की डिमांड की जाती है। ऐसे में नया ट्रांसफॉर्मर लगाने में 10 से 12 दिन लग जाते हैं। इस दौरान क्षेत्र की आपूर्ति बंद रहती है।

 

खेतों में जल जाती है फसल
सिंचाई के ट्रांसफॉर्मर चोरी होने पर नया आने में 10 से 12 दिन लगने पर सिचंाई नहीं हो पाती है। ऐसे में फसल भी जल जाती है, वहीं ट्रांसफॉर्मर चोरी का भार भी उपभोक्ता पर ही आता है। खेजरोली निवासी आरटीआई कार्यकर्ता शंकरसिंह शेखावत ने बताया कि चोरी रोकने मेें नाकाम निगम चोरी ट्रांसफॉर्मरों का का भार भी उपभोक्ताओं से वसूल रहा है।

 

ठेका प्रथा के बाद बढ़ी वारदातें
निगम के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि निगम मेें जब से ट्रांसफॉर्मर बनाने, लाने व अन्य कार्यों की ठेका प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से चोरियां बढ़ी हैं। चोर सिर्फ तांबे वाले ट्रांसफॉर्मर को ही निशाना बनाते हैं। एल्यूमीनियम वाले को छुते भी नहीं हैं।

 

कॉपर एवं ऑयल के लिए चेारी
चोर ट्रांसफॉर्मर को ढांचे से नीचे उतारने के बाद उसमेें से कॉपर निकाल लेते हैं। एक डीपी में औसतन 10 से 20 किलो कॉपर एवं 80 से 90 लीटर ऑयल होता है। बाजार मेें वेस्ट कॉपर का मूल्य 800 से 900 रुपए होता है। ऑयल को डीजल वाहन चलाने के काम लेते हैं।

 

डिमांड पर भेजे हैं ट्रांसफॉर्मर
ट्रांसफॉर्मर चेारी होने के बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज होने पर सहायक अभियंता रिपोर्ट के साथ मीमो बनाकर भेजता है। इसके बाद डिमांड के आधार पर ट्रांसफॉर्मर उपलब्ध करवा देते हैं। आबादी व खेतों से चोरी हुए ट्रांसफॉर्मर नि:शुल्क उपलब्ध करवाते हैं। सुनसान, गैर आबादी क्षेत्र में चोरी होने पर उपभोक्ताओं से चार्ज लेते हैं।
हरिओम शर्मा, अधीक्षण अभियंता, विद्युत वितरण निगम जयपुर जिला वृत्त

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