scriptआखिर ऐसा क्या हुआ कि हजारों पेड़ लापता हो गए, ढूंढने से भी नहीं मिल रहे | Trees have gone missing, they are not being found even by searching | Patrika News

आखिर ऐसा क्या हुआ कि हजारों पेड़ लापता हो गए, ढूंढने से भी नहीं मिल रहे

locationबगरूPublished: Jun 05, 2020 07:49:22 pm

Submitted by:

Narottam Sharma

पर्यावरण दिवस विशेष : पर्यावरण शुद्धता को लील रही लापरवाही, नर्सरी में लगाए थे 13 हजार पौधे। अब सभी कहां गए किसी को पता नहीं। प्रदेश के सभी संभागों एवं जिलों मेें जुलाई में पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उन पौधो मेें से कितने पौधे बड़े होकर पेड़ बनते हैं यह कोई नहीं देखता है।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि हजारों पेड़ लापता हो गए, ढूंढने से भी नहीं मिल रहे

आखिर ऐसा क्या हुआ कि हजारों पेड़ लापता हो गए, ढूंढने से भी नहीं मिल रहे

गोविन्दगढ़. प्रदेश मेें स्वच्छ वातावरण एवं शुद्ध पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए हर वर्ष प्रदेश स्तरीय वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जुलाई माह मेें मनाए जाने वाले वन महोत्सव में मुख्यमंत्री या मंत्री वन महोत्सव की शुरुआत करते हैं। इसके साथ ही प्रदेश के सभी संभागों एवं जिलों मेें पौधे रोपे जाते हैं। लेकिन उन पौधो मेें से कितने पौधे बड़े होकर पेड़ बनते हैं, इसकी बानगी जयपुर जिले के चौमूं उपखण्ड के ढोढ़सर ग्राम पंचायत की बाढ़ावाली ढाणी मेें वर्ष 2009 मेें मनाए गए प्रदेश स्तरीय वन महोत्सव को देख कर लगाई जा सकती है। ग्रामीणों की मानें तो प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम मेें वन महोत्सव की शुरुआत की गई थी। कार्यक्रम मेें कई मंत्री सहित जिला कलक्टर एवं जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की थी, लेकिन पौधे लगाने के बाद किसी ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे मेें पौधे बड़े होते उससे पहले ही नष्ट हो गए।
पौधे लगा कर वन विभाग को सौंपी थी जिम्मेदारी
सम्पत्त चौधरी, गोगराज घोषल्या, वार्ड पंच तेजपाल सहित ग्रामीणों ने बताया कि 2009 मेें वन महोत्सव के तहत बाढावाली ढाणी मेें करीब 60 बीघा चारागाह भूमि मेें करीब 13 हजार पौधे लगाए गए थे। मुख्यमंत्री स्तरीय कार्यक्रम होने के कारण कुछ दिनों तक वन विभाग के कर्मचारी पौधों की देखभाल नियमित करते रहे। लेकिन छह माह बाद कार्मिको ने पौधों की देखरेख करना छोड़ दिया। ऐसे मेें कुछ पौधे तो पेड़ बनने से पूर्व ही नष्ट हो गए। जबकि बड़े हुए पेड़ों को लोगों नेे अवैध रूप से काट कर ठूंठ मेें बदल दिया। नतीजन हरियाली से आच्छादित भूमि कुछ ही दिनों मेें बंजर नजर आने लगी। ग्रामीणों की मानें तो वर्तमान मेें चरागाह भूमि मेें अब करीब छह सौ पेड़ बचे हैं। जिन्हें भी रोजाना अवैध रूप से कटाई कर ठूंठ बनाया जा रहा है।
जिम्मेदार बोले…
चारागाह भूमि पर पौधे लगा कर बड़े होने पर ग्राम पंचायत को सुपुर्द किया जाता है। ढोढ़सर मेें भी वन महोत्सव के तहत लगाए गए पौधे पंचायत के सुपुर्द कर दिए थे। इससे अधिक मामले के बारे मेें जानकारी नहीं है।
— गिरधारी सिंह राठौड़, रेंजर, वन विभाग हाड़ौता
वन विभाग द्वारा ग्राम पंचायत को पेड़ों की सुपुर्दगी को लेकर कोई रिकॉर्ड ग्राम पंचायत मेें नहीं है। पेड़ों की जिम्मेदारी वन विभाग की है। इस मामले मेें वही अधिक जानकारी दे सकते हैं।
— बीना कंवर, सरपंच, ढोढ़सर
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