सम्पत्त चौधरी, गोगराज घोषल्या, वार्ड पंच तेजपाल सहित ग्रामीणों ने बताया कि 2009 मेें वन महोत्सव के तहत बाढावाली ढाणी मेें करीब 60 बीघा चारागाह भूमि मेें करीब 13 हजार पौधे लगाए गए थे। मुख्यमंत्री स्तरीय कार्यक्रम होने के कारण कुछ दिनों तक वन विभाग के कर्मचारी पौधों की देखभाल नियमित करते रहे। लेकिन छह माह बाद कार्मिको ने पौधों की देखरेख करना छोड़ दिया। ऐसे मेें कुछ पौधे तो पेड़ बनने से पूर्व ही नष्ट हो गए। जबकि बड़े हुए पेड़ों को लोगों नेे अवैध रूप से काट कर ठूंठ मेें बदल दिया। नतीजन हरियाली से आच्छादित भूमि कुछ ही दिनों मेें बंजर नजर आने लगी। ग्रामीणों की मानें तो वर्तमान मेें चरागाह भूमि मेें अब करीब छह सौ पेड़ बचे हैं। जिन्हें भी रोजाना अवैध रूप से कटाई कर ठूंठ बनाया जा रहा है।
चारागाह भूमि पर पौधे लगा कर बड़े होने पर ग्राम पंचायत को सुपुर्द किया जाता है। ढोढ़सर मेें भी वन महोत्सव के तहत लगाए गए पौधे पंचायत के सुपुर्द कर दिए थे। इससे अधिक मामले के बारे मेें जानकारी नहीं है।
— गिरधारी सिंह राठौड़, रेंजर, वन विभाग हाड़ौता
— बीना कंवर, सरपंच, ढोढ़सर