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विभाग छीन रहा सम्मान, दे रहा आर्थिक नुकसान

locationबगरूPublished: Aug 28, 2019 11:51:34 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

सरकार की दोहरी शिक्षा नीति ने प्रयोशाला सहायक से अध्यापक पद समायोजित हुए शिक्षकों के अधिकारों पर अब कुठाराघात शुरू कर दिया है। इस नीति के चलते उन्हें सम्मान ही नहीं आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।

विभाग छीन रहा सम्मान, दे रहा आर्थिक नुकसान

विभाग छीन रहा सम्मान, दे रहा आर्थिक नुकसान

कैलाश ब्रह्मभट्ट
फागी. सरकार की दोहरी शिक्षा नीति ने प्रयोशाला सहायक से अध्यापक पद समायोजित हुए शिक्षकों के अधिकारों पर अब कुठाराघात शुरू कर दिया है। इस नीति के चलते उन्हें सम्मान ही नहीं आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। अजीब फरमान झेलने वाले समायोजित शिक्षक अब अपना अधिकार पाने के लिए शिक्षा विभाग निदेशालय के चक्कर लगा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग ने 7 अगस्त 1998 को आदेश जारी कर प्रदेश की सभी स्कूलों में नियुक्त प्रयोगशाला सहायकों को अध्यापक पदों पर समायोजित किया था। उनकी योग्यता के लिए शिक्षा विभाग ने विशेष पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से बीएसटीसी कराई थी। इसके बाद कई ने अन्य उच्च स्तरीय उपाधि व बी.एड भी कर ली। शिक्षा विभाग ने पदोन्नोति का लाभ देते हुए उन्हें वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता एवं अन्य पदों की जिम्मेदारियां भी सौंपी। इसी आधार पर प्रयोग शाला सहायक शिक्षक अनुपात में समान हो गए और उन्हें शिक्षक के बराबर के दर्जे के समान परिलाभ देना शुरू कर दिया, लेकिन सरकार ने 5 जुलाई 2013 को अपनी ही नीति में बदलाव कर इन शिक्षकों को दो श्रेणियों में विभाजित कर दिया।
प्रयोगशाला सहायक से समायोजित होकर बने शिक्षकों के खातों से पूर्व दिए गए परिलाभ की आर्थिक अंश की कटौती शुरू कर रिकवरी की जा रही है। इस आदेश के तहत शिक्षा विभाग ने इन समायोजित शिक्षकों को एक बार फिर प्रयोगशाला सहायक ही माना है। जबकि ये समायोजित शिक्षक अन्य अध्यापकों की भांति ही कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें शिक्षक से प्रयोग शाला सहायक के पद पर ही मानकर उनके अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है। इससे इन शिक्षकों के सम्मान पर ही चोट के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। इधर, मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर के निदेशक नथमल डिडेल से बात करनी चाही, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।

9 हजार हैं प्रभावित
प्रदेश में करीब 9 हजार शिक्षक इस नीति से प्रभावित हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस नीति के लागू होने के बाद जब कुछ शिक्षकों ने कोर्ट की शरण ली तो शिक्षा विभाग को बेकफुट पर आना पड़ा और उन्हें अन्य शिक्षकों के भांति ही वेतनमान दिया जा रहा है। इनकी संख्या प्रदेश में 109 है। जबकि अन्य शिक्षक अपने समान वेतनमान के लिए चक्कर लगा रहे हैं। जबकि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार ‘समान काम समान वेतन’ भी दिया जाना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग ऐसा नहीं कर रहा है।
लगातार कर रहे हैं गुहार
नीति लागू होने के बाद समायोजित शिक्षक मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा निदेशक तक गुहार लगा चुके हैं। वहीं श्रम कारखाना मंत्री टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर समायोजित शिक्षकों को समान वेतनमान देने की अभिशंसा की है।
इनका कहना है…
सरकार ने ये दोहरी नीति अपनाई है। पहले सम्मान दिया अब उसे छीना जा रहा है। हम हार नहीं मानेंगे। हमारा अपने अधिकारों के प्रति संघर्ष जारी रहेगा। सरकार से लगातार मांग की जा रही है।
– राजकुमार बैरवा, संयोजक प्रदेश संघर्ष समिति

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