बांसखोह (
Agriculture). क्षेत्र में गिरते भू-जल स्तर के चलते क्षेत्र में रबी की फसल (
Agriculture) का रकबा घटा है। बांसखोह सहायक कृषि कार्यालय के अधीन क्षेत्र में जहां गांवों में एक ओर चने की बुआई का रकबा बढ़ा है, वही गेहूं की बुआई कम हुई है।
जानकारी के अनुसार गत बार के मुकाबले इस बार करीब 500 हैक्टेयर गेहूं की बुआई कम हुई है। देखा जाए तो इस बार अनुदान आधारित गेहूं के बीज का वितरण भी कम होने से बुआई (
Agriculture) में कमी आई है। वहीं, चने की बुआई के दौरान बारिश हो जाने और अनुदान पर चने के बीज का वितरण पहले की तुलना में अधिक होने से चने का रकबा बढ़ा है। गत वर्ष जहां चने की बुआई 23 हैक्टयर ही हुई थी, वहीं इस बार यह बुआई 270 हैक्टयर हुई है। गेहूं की बुआई जहां गत वर्ष 2245 हैक्टयर क्षेत्र में हुई थी, वहीं अब 1731 हैक्टेयर पर ही गेहूं की बुआई हुई है।
5800 में से सिर्फ 3076 हैक्टेयर पर बुआईबांसखोह, राजपुरा, भूड़ला, मोहनपुरा, पाटन, भटेरी ग्राम पंचायते का भौगोलिक रकबा लगभग 9861 हैक्टेयर है। इसमें से करीब 3800 हैक्टेयर जमीन सिंचिंत और 2 हजार हैक्टेयर भूमि असिंचित है। करीब 5800 हैक्टेयर भूमि खेती (
Agriculture) योग्य है, लेकिन इस बार सिर्फ 3076 हैक्टेयर भूमि पर ही बुआई हुई है।
चना बीज के अनुदान में बढ़ोत्तरी
इस बार गत वर्ष के मुकाबले अनुदान पर आधारित चने के बीज की मात्रा अधिक रही। गत वर्ष जहां 30 क्विटल चने का बीज ही अनुदान पर मिला, वहीं इस बार 120 क्विटल चने का बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को मिला। इस बार चने की बुआई के समय अक्टूबर माह में बारिश भी हुई। इससे जमीन में नमी बनी रही। ऐसे में किसानों ने चने की बुआई अधिक की। इधर, गत वर्ष जहां 350 क्विटल गेहूं का बीज किसानों को अनुदान पर मिला, वहीं अबकी बार सिर्फ 50 क्विटल गेहूं का बीज (
Agriculture) ही किसानों को अनुदान पर मिला। ऐसे में किसान मंहगे बीज की खरीददारी से भी कन्नी काटता रहा। किसान बाबूलाल मीना बाबाजी की कोठी, हनुमान सहाय बौटोल्या ने बताया कि सरकार को गेहूं, जौ, चना, सरसों, तारामीरा के बीज कम दर पर उपलब्ध कराकर किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
पानी की कमीकुएं, ट्यूबवैलों के सूखने से आई पानी की कमी के चलते किसानों के खेत (
Agriculture) खाली पड़े हैं। कई बार किसान खेती तो करना चाहता है और ट्यूबवैल भी करा लेता हैं, लेकिन समय पर विद्युत कनेक्शन नहीं मिल पाने से आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। वही अधिकांशत: किसानों को रात के समय ही विद्युत सप्लाई देने से भी उनका खेती (
Agriculture) से मोह भंग होता जा रहा है। किसान रामजीलाल हलकारा और लल्लूलाल नोजवाल ने बताया कि सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर किसानों को सब्सिडी पर शीघ्र सौर ऊर्जा उपलब्ध कराए, तो किसानों का खेती (
Agriculture) की ओर झुकाव बढ़ेगा।
मवेशियों ने उड़ाई नींदपानी की कमी के चलते अब किसान छोटे-छोटे टुकड़ों में खेती करने लगा है, लेकिन इस खेती (
Agriculture) पर भी आवारा मवेशियों ने किसानों की नींद उडा दी है। आए दिन किसानों के खेतों में नील गाय, नंदी, गाय आदि मवेशी खड़ी फसल को चट कर जाते हैं। इससे किसान दुखी है। अगर सरकार खेतों में आवारा जानवरों से फसलों (
Agriculture) की रखवाली के लिए मनरेगा से तार फैंसिंग करा दे या अनुदान पर तार फैंसिंग दे, तो किसानों की फसल की सुरक्षा हो सकती हैं।
इनका कहना हैक्षेत्र में गिरते भू-जल स्तर के कारण गेहूं की बुआई का रकबा घटा है, लेकिन गत दिनों चने की बुआई के दौरान बारिश आ जाने और अनुदान पर अधिक मात्रा में चने का बीज मिलने के चलते चने की बुआई गत वर्ष के मुकाबले ज्यादा हुई है।
– विनोद महावर, कार्यवाहक सहायक कृषि अधिकारी, बांसखोहफसल वर्ष 2018 वर्ष 2019(हैक्टयर में)गेहूं****2245*** 1731
जौ ****293*****345
चना ***23 *****270
सरसों **343****340
तारामीरा*83 ****50
हरा चारा *96****180
हरी सब्जी*103***160
कुल *****3186**3076