बलेखण निवासी गुमान सिंह, श्यामलाल, रामेश्वर सहित अनेक किसानों ने बताया कि सफेद लट के कारण मूंगफली की फसल नष्ट हो गई। कृषि अधिकारियों के निर्देशन में कीटनाशक का छिडक़ाव भी किया, लेकिन यह उपचार कारगर सिद्ध नहीं हो रहा। किसानों ने बताया कि मूंगफली व बाजरे की फसल की बढ़वार रुकने पर पौधे के आसपास खोद कर देखा तो सफेद लट नजर आई तथा एक-दो दिन में पौधा पूर्णतया सूख गया।
ढोढ़सर ग्राम सेवा सहकारी समिति अध्यक्ष भंवर देवन्दा, गोपीराम, कजोड़, कालूराम का कहना है कि सफेद लट का प्रकोप पिछले चार वर्ष से लगातार नजर आ रहा है, लेकिन इस बार इसका प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है। किसानों ने बताया कि फसल नष्ट होने के बारे मेें कृषि अधिकारियों को लगातार अवगत करवाया जा रहा है। कृषि अधिकारी खेतों का दौरा तो कर रहे हैं। लेकिन प्रभावी रोकथाम को लेकर अभी तक कोई पुख्ता इंतजाम विभाग ने नहीं किया है।
चौमूं उपखण्ड के सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय चौमूं, हस्तेड़ा, निवाणा, कालाडेरा, गोविन्दगढ़ के अधीन वर्तमान मेें करीब 12 हजार हैक्टेयर मेें मूंगफली, साढ़े छह हजार हैक्टेयर मेें ग्वार, 14 हजार हैक्टेयर मेें बाजरे की फसल की बुवाई की गई है। सफेद लट मूंगफली व बाजरे की फसल को अधिक नुकसान पहुंचाती है। कृषि अधिकारियों की मानें तो चौमूं उपखण्ड में 12 हजार हैक्टेयर मेें मूंगफली की बुवाई है। जिसमेें 28 सौ हैक्टेयर फसल सफेद लट की चपेट में है इससे मूंगफली फसल को 30 से 40 प्रतिशत नुकसान हुआ है। वहीं बाजरे की 14 हजार हैक्टेयर मेें बुवाई है। जिसमेें से 44 सौ हैक्टयर सफेद लट की चपेट में है, जिससे 20 से 25 प्रतिशत तक फसल को नुकसान हुआ है।
किसानों के अनुसार ढोढ़सर, बलेखण, लोहरवाड़ा, मलिकपुर, सीतारामपुरा, किशनमानपुरा, गोविन्दगढ़, हस्तेड़ा, नांगल कलां, गुढलिया, आलीसर, आष्टी, बागड़ों का बास, भूतेड़ा, गिदा का बास, हीरा का बास सहित पश्चिमी क्षेत्र के गांवों के खेतों मेें सफेद लट का प्रकोप अधिक नजर आ रहा है।
सफेद लट को नष्ट करने के लिए किसान मानसून के समय सामूहिक रूप से प्रयास करने के साथ ही भूमि उपचार एवं बीजोपचार करें। खड़ी फसल में प्रकोप नजर आने पर इमिड़ा क्लोरपिड 17.8 एसएल 300 मिली. प्रति हैक्टेयर मेें छिडक़ाव करें। सफेद लट का प्रकोप गोविंदगढ़ व हस्तेड़ा क्षेत्र में अधिक होने के बारे में जानकारी मिली है।
भगवानसहाय यादव
सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, झोटवाड़ा
चीथवाड़ी. बारिश थमने के बाद फसलों पर मंडराता फडक़ा कीट का खतरा किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। बाजरे में लगा फडक़ा कीट फसल को चट करने में लगा हुआ है। बारिश के थमने व बादल छाए रहने से इस बार फडक़ा कीट का अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। जिससे किसान फसल खराबे को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। किसानों की माने तो क्षेत्र में फडक़ा के प्रकोप से बाजरे की फसल में तकरीबन 30 फीसदी नुकसान का अनुमान है। क्षेत्र के चीथवाड़ी, समरपुरा, मोरीजा, सुल्तानपुरा, फतेहपुरा, कुशलपुरा, विजयसिंहपुरा व जाटावाली में प्रारंभिक तौर पर ही फडक़े के प्रकोप से 30 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है। कृषि अधिकारी क्षेत्र का दौरा कर फसलों का जायजा ले रहे हैं। फसल में कीटनाशक का उपचार भी कारगर साबित नहीं हो रहा है। सहायक कृषि अधिकारी चौमंू मनीषा शर्मा ने कृषि पर्यवेक्षक सुनीता यादव व ओमप्रकाश बुनकर के साथ चीथवाड़ी व विजयसिंहपुरा का दौरा कर किसानों को फडक़ा कीट से बचाव के उपाय बताए।