चौमूं का सीडीपीओ कार्यालय बना पूछताछ केन्द्र!
बगरूPublished: Jul 13, 2018 05:12:59 pm
– उप रजिस्ट्रार कार्यालय के भरोसे घुस जाते लोग
चौमूं का सीडीपीओ कार्यालय बना पूछताछ केन्द्र!
चौमूं (जयपुर). मेडम! जमीन की रजिस्ट्री करवानी है। क्या प्रक्रिया है। क्या करना पड़ेगा। कितना पैसा लगेगा। जवाब में मिलता है कि अंदर चले जाओ, वहां जानकारी मिलेगी, लेकिन अंदर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वह व्यक्ति फिर से आ धमकता है। साथ में ताने भी देता है कि अंदर-बाहर, अंदर-बाहर क्यों बोलते हैं। साफ जवाब क्यों नहीं देते। बाद में जब उसे बताया जाता है कि यह दफ्तर सीडीपीओ का है तो वह शांत होता है। यह स्थिति शहर के रेनवाल रोड पर किराए के भवन में संचालित सीडीपीओ कार्यालय की है, जिसके पीछे वाले हिस्से में उप रजिस्ट्रार कार्यालय चलता है। सूत्रों के अनुसार शहर के केशव नगर स्थित सामुदायिक भवन में वर्ष 2009 से सीडीपीओ कार्यालय संचालित था, लेकिन भवन जर्जर होने के साथ ही नगरपालिका के अधीन होने इसे वर्ष 2012-13 में रेनवाल रोड स्थित किराए के भवन में शिफ्ट कर दिया गया। कार्यालय शिफ्ट तो हो गया, लेकिन भवन के नाम पर छोटे-छोटे मात्र चार कमरे होने से अधिकारी व कर्मचारियों को परेशानी उठानी पड़ती हैं, जबकि इसका अनुमानित किराया करीब साढ़े छह हजार रुपए है। इसी भवन में उप रजिस्ट्रार कार्यालय संचालित है, जो सीडीपीओ कार्यालय के पीछे बने कमरों में चलता है, जिसका मुख्य प्रवेश द्वार सीडीपीओ कार्यालय के बीच से गुजरता है।
समूहों में लेते हैं बैठक
सीडीपीओ कार्यालय में सीडीपीओ, कनिष्ठ लिपिक, वरिष्ठ लिपिक, कनिष्ठ लेखाकार, महिला पर्यवेक्षक, कम्प्यूटरकर्मी, सहायक कर्मचारी, महिला पर्यवेक्षक समेत 17 लोग कार्यरत हैं। इसके अधीन 179 आंगनबाड़ी केन्द्र आते हैं। सूत्रों की मानें तो सीडीपीओ को कर्मचारियों की बैठक समूह बनाकर लेनी पड़ती है, क्योंकि एक साथ 17 कर्मचारियों को बैठाने की जगह नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की बैठक भी सेक्टर मुख्यालय पर आयोजित की जाती है।
यह बड़ी समस्या
सीडीपीओ कार्यालय के परिसर में ही पीछे की तरफ सब रजिस्ट्रार ऑफिस संचालित होने से रोजाना बड़ी संख्या में लोग यहां विभिन्न कार्यों से आते हैं। इनमें से अधिक लोग उप रजिस्ट्रार के भवन के बाहर बने कमरों यानी सीडीपीओ कार्यालय के कक्षों में पूछताछ के लिए प्रवेश कर जाते हैं और रजिस्ट्री, एनओसी समेत अन्य कामों के लिए कर्मचारियों व खुद सीडीपीओ तक से सवाल-जवाब पूछताछ रहते हैं। ये उनको उप रजिस्ट्रार कार्यालय में भेज देते हैं। वहां से कई बार संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वहीं लोग फिर से सीडीपीओ कार्यालय में घुस जाते हैं और इधर-उधर घुमाने तक का आरोप जड़ देते हैं। इतना ही नहीं, कुछ तो विधायक व कलक्टर तक से शिकायत करने की कह जाते हैं। दूसरी तरफ उप रजिस्ट्रार कार्यालय में वकीलों एवं ग्रामीणों का जमावड़ा देखकर सीडीपीओ कार्यालय में काम से आने वाले कई लोग इसे रजिस्ट्रार कार्यालय मानकर ही बैरंग लौट जाते हैं।