एक कक्ष में बैठ रहे 3 चिकित्सक
सीएचसी के लिए यहां छह चिकित्सक लगाए जाने थे, लेकिन चिकित्सा विभाग की ओर से पांच माह बीत जाने के बाद भी अब तक नई नियुक्ति नहीं की गई है। यहां पूर्व में नियुक्त 2 चिकित्सक एवं एक वैद्य ही व्यवस्था देख रहे हैं। भवन की कमी के चलते तीनों चिकित्सकों को एक ही कमरे में बैठकर मरीजों को देखना पड़ रहा है। जबकि यहां प्रतिदिन करीब 250 मरीजों का आउट डोर है।
सीएचसी के लिए यहां छह चिकित्सक लगाए जाने थे, लेकिन चिकित्सा विभाग की ओर से पांच माह बीत जाने के बाद भी अब तक नई नियुक्ति नहीं की गई है। यहां पूर्व में नियुक्त 2 चिकित्सक एवं एक वैद्य ही व्यवस्था देख रहे हैं। भवन की कमी के चलते तीनों चिकित्सकों को एक ही कमरे में बैठकर मरीजों को देखना पड़ रहा है। जबकि यहां प्रतिदिन करीब 250 मरीजों का आउट डोर है।
मरीजों को नहीं मिल रही जांच सुविधा
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लैब टेक्निशियन नहीं होने के चलते मरीजों की जांचें नहीं हो पा रही है। मरीजों को जांचों के लिए अन्यत्र जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं करीब 1 वर्ष से एएनएम का पद रिक्त होने से महिलाओं को टीकाकरण में परेशानी हो रही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लैब टेक्निशियन नहीं होने के चलते मरीजों की जांचें नहीं हो पा रही है। मरीजों को जांचों के लिए अन्यत्र जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं करीब 1 वर्ष से एएनएम का पद रिक्त होने से महिलाओं को टीकाकरण में परेशानी हो रही है।
इनका कहना है… – अस्पताल में चिकित्सकों एवं सुविधाओं के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को अवगत कराया जा चुका है। अस्पताल में सुविधा बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की गई है।
डॉ. गणेशनारायण चौधरी, चिकित्सा प्रभारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मौजमाबाद
डॉ. गणेशनारायण चौधरी, चिकित्सा प्रभारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मौजमाबाद
इधर, डेढ़ साल से लटका है ताला
– भवन का कोई नहीं रखवाला
माधोराजपुरा. कस्बे के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय भवन के करीब डेढ़ साल से ताला लटका है। इससे जहां दीवारें बदरंग हो गई वहीं इसे मरम्मत की भी दरकार है। लेकिन रखरखाव करने वाला कोई नहीं है। गौरतलब है कि सरकार तथा चिकित्सा महकमे की नीतियों के कारण वर्ष 1960 से प्राचीन किले के बाहर संचालित चिकित्सालय को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में बने दो कमरों के भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। नए भवन में न तो चिकित्सकों के बैठने के लिए ही पर्याप्त जगह है न ही मरीजों की देखरेख के लिए जगह मुनासिब। दूसरी ओर पुराने भवन में पर्याप्त कक्षों के साथ औषधियों के लिए भी बड़ा हॉल बना है। इस सम्बंध में कस्बेवासियों के साथ ग्राम पंचायत प्रशासन की ओर से भी चिकित्सा मंत्री तथा विभागीय उच्चाधिकारियों को पुराने भवन में चिकित्सालय संचालन के लिए ज्ञापन प्रेषित किया गया था, लेकिन मामला जस का तस है। इस बारे में सरपंच भागचंद कासलीवाल का कहना है कि मैंने इस सम्बंध में चिकित्सा मंत्री को चिट्ठी प्रेषित कर आयुर्वेदिक चिकित्सालय को पुन: पुराने भवन में ही संचालित करने की मांग की है।
– भवन का कोई नहीं रखवाला
माधोराजपुरा. कस्बे के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय भवन के करीब डेढ़ साल से ताला लटका है। इससे जहां दीवारें बदरंग हो गई वहीं इसे मरम्मत की भी दरकार है। लेकिन रखरखाव करने वाला कोई नहीं है। गौरतलब है कि सरकार तथा चिकित्सा महकमे की नीतियों के कारण वर्ष 1960 से प्राचीन किले के बाहर संचालित चिकित्सालय को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में बने दो कमरों के भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। नए भवन में न तो चिकित्सकों के बैठने के लिए ही पर्याप्त जगह है न ही मरीजों की देखरेख के लिए जगह मुनासिब। दूसरी ओर पुराने भवन में पर्याप्त कक्षों के साथ औषधियों के लिए भी बड़ा हॉल बना है। इस सम्बंध में कस्बेवासियों के साथ ग्राम पंचायत प्रशासन की ओर से भी चिकित्सा मंत्री तथा विभागीय उच्चाधिकारियों को पुराने भवन में चिकित्सालय संचालन के लिए ज्ञापन प्रेषित किया गया था, लेकिन मामला जस का तस है। इस बारे में सरपंच भागचंद कासलीवाल का कहना है कि मैंने इस सम्बंध में चिकित्सा मंत्री को चिट्ठी प्रेषित कर आयुर्वेदिक चिकित्सालय को पुन: पुराने भवन में ही संचालित करने की मांग की है।