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डेढ़ साल से बंद सरकारी भवन बने समाजकंटकों के आरामगाह

locationबगरूPublished: Apr 12, 2018 11:39:04 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

भामाशाह ने शिक्षा के लिए दी थी भूमि

govt. buildings are being wastes
(जयपुर) रेनवाल मांजी . ग्राम पंचायत रेनवाल मांजी में विद्यालय एकीकरण के बाद खाली हुए सरकारी विद्यालय भवनों की शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते भवन समाजकंटकों की शरणस्थली के केन्द्र बन गए हैं। देखरेख व सार-सभाल के अभाव में भवनों की दुर्दशा भी होती हुई जा रही है।
जानकारी के अनुसार राजकीय प्राथमिक विद्यालय मांड्या-चलावरियों की ढाणी व राजकीय प्राथमिक विद्यालय धान्धों की ढाणी में स्थित विद्यालयों का एकीकरण कर देने से क्षेत्र में लाखों रुपए की लागत से बने कई भवन पूरी तरह से खाली हो गए थे। इन सरकारी भवनों का कोई धणी-धोरी नहीं होने से ये भवन अब समाजकंटकों की शरणस्थली बन गए हैं। साथ ही विद्यालय परिसर में लाखों रुपयों की लागत से बने पानी के टांके भी देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार छात्र संख्या कम होने की वजह से प्राथमिक विद्यालयों को नजदीक उच्च प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में मर्ज कर दिया गया था। इससे पूर्व में संचालित विद्यालय भवन नाकारा हो गए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा खाली हुए इन भवनों की सुध नहीं ली जा रही, इससे ये भवन दिनोंदिन देखरेख के अभाव में जर्जर होकर खण्डहर होते जा रहे हैं। शाम ढलते ही इन भवन में समाजकंटकों का जमावड़ा लग जाता हैं। समाजकंटक इन खाली हुए भवनों के कमरों की जालियां व दरवाजे तोडक़र ले गए हैं। इस बारे में फागी के ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षाधिकारी रमेशचन्द कुन्तल का कहना है कि सरकारी विद्यालय मर्ज होने के बाद खाली हुए विद्यालय भवनों की देखरेख का कार्य प्रधानाचार्य के अधिकार क्षेत्र में हैं।
भामाशाह द्वारा उठाए कदम की अनदेखी

ग्रामीणों ने बताया कि धान्धों की ढाणी में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन के लिए भामाशाह भूराराम गोदारा ने 1/2 बिस्वा भूमिदान की थी। जिससे ढाणी के बच्चों को शिक्षा मिल सके। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते इस विद्यालय को भी मर्ज कर देने से यह भवन नाकारा हो गया है। इससे शिक्षा के लिए भामाशाह द्वारा उठाए कदम का अपमान है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी भवनों की देखरेख के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी देने के बावजूद भी सुध नहीं लेने से इन भवनों की दुर्दशा हो रही है।
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