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देशभर से पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
कस्बे के पश्चिम में हजरत मखदूम शाह की दरगाह, उसके समीप स्थित नलियासर नगर की सभ्यता का जमींदोज नगर, नलियासर झील के प्राकृतिक नजारे भी पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार हो सकते हैं। यहां स्थित झील को मुम्बई के चौपाटी की तर्ज पर विकसित किया जाए और केमल सफारी करवाई जाए तो पर्यटक इस ओर खिंचे चले आएंगे। दक्षिण में आस्था धाम दादू मोक्षधाम भैराणा और उत्तर में जोबनेर ज्वाला मैया और माल्यावास ग्राम स्थित जमवाय माताजी मंदिर में भी लाखों श्रद्धालु देशभर से पहुंचते हैं।
देशभर से पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
कस्बे के पश्चिम में हजरत मखदूम शाह की दरगाह, उसके समीप स्थित नलियासर नगर की सभ्यता का जमींदोज नगर, नलियासर झील के प्राकृतिक नजारे भी पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार हो सकते हैं। यहां स्थित झील को मुम्बई के चौपाटी की तर्ज पर विकसित किया जाए और केमल सफारी करवाई जाए तो पर्यटक इस ओर खिंचे चले आएंगे। दक्षिण में आस्था धाम दादू मोक्षधाम भैराणा और उत्तर में जोबनेर ज्वाला मैया और माल्यावास ग्राम स्थित जमवाय माताजी मंदिर में भी लाखों श्रद्धालु देशभर से पहुंचते हैं।
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देवयानी से शाकम्भर माताजी तक बिछे नेरोगेज लाइन
भले ही राज्य सरकार की ओर से समीप की अश्वस्थामा की तपोस्थली देवयानी तथा शाकम्भर माताजी में विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। किन्तु यहां भी सरोवर में पानी लाना सरकार के लिए चुनौती है। यहां पानी आ जाता है और देवयानी से शाकम्भर माताजी तथा नलियासर झील तक सांभर की नमक की झील में केन्द्र के भारी उधोग मंत्रालय से अनुमति लेकर नेरोगेज रेल की पटरी बिछाई जाए तो दो धार्मिक स्थल आपस में जुड जाएंगे। वहीं मार्ग के सांभर, झपोक , बरडोती और कोरसीना आदि गांवों में भी आवागमन सुलभ होगा।
देवयानी से शाकम्भर माताजी तक बिछे नेरोगेज लाइन
भले ही राज्य सरकार की ओर से समीप की अश्वस्थामा की तपोस्थली देवयानी तथा शाकम्भर माताजी में विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। किन्तु यहां भी सरोवर में पानी लाना सरकार के लिए चुनौती है। यहां पानी आ जाता है और देवयानी से शाकम्भर माताजी तथा नलियासर झील तक सांभर की नमक की झील में केन्द्र के भारी उधोग मंत्रालय से अनुमति लेकर नेरोगेज रेल की पटरी बिछाई जाए तो दो धार्मिक स्थल आपस में जुड जाएंगे। वहीं मार्ग के सांभर, झपोक , बरडोती और कोरसीना आदि गांवों में भी आवागमन सुलभ होगा।