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राजधानी के नजदीक, पर्यटन विभाग की नजरों से कोसों दूर पर्यटक स्थल

locationबगरूPublished: Feb 03, 2018 09:41:19 pm

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जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से जनता के सपनों पर नहीं लग पा रहे पंख।

The possibility of religious tourism
फुलेरा (जयपुर). राजधानी के आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध जगहों पर ध्यान दिया जाए तो पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं है। इससे न केवल सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी बल्कि क्षेत्र के विकास के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापवाही से कार्य योजना तक नहीं बनाई जा रही। वहीं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से भी जनता के सपनों के पंख नहीं लग पा रहे हैं। ऐसी ही स्थिति फुलेरा क्षेत्र की है जहां धार्मिक पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं, लेकिन कार्ययोजना व परिवहन के साधनों के अभाव में राजधानीके नजदीक होकर भी अब तक पर्यटन विभाग की नजरों कोसों दूर है। गौरतलब है कि फुलेरा के पूर्व में आस्थाधाम भन्दे हनुमानजी, खाटूश्याम मंदिर काचरोदा स्थित है जहां हजारों की संख्या में बाहरी श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। इसी मार्ग पर स्थित बाबा ठन्डी राम की तपोस्थली काचरोदा सरोवर का जुड़ाव रेल कोरिडोर की वजह से खत्म हो गया है। इस मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से दुर्घटना का अंदेशा बरकार रहता है। इसके चलते बोराज से फुलेरा तक डिवाइडरयुक्त सड़क की दरकार है।
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देशभर से पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
कस्बे के पश्चिम में हजरत मखदूम शाह की दरगाह, उसके समीप स्थित नलियासर नगर की सभ्यता का जमींदोज नगर, नलियासर झील के प्राकृतिक नजारे भी पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार हो सकते हैं। यहां स्थित झील को मुम्बई के चौपाटी की तर्ज पर विकसित किया जाए और केमल सफारी करवाई जाए तो पर्यटक इस ओर खिंचे चले आएंगे। दक्षिण में आस्था धाम दादू मोक्षधाम भैराणा और उत्तर में जोबनेर ज्वाला मैया और माल्यावास ग्राम स्थित जमवाय माताजी मंदिर में भी लाखों श्रद्धालु देशभर से पहुंचते हैं।
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देवयानी से शाकम्भर माताजी तक बिछे नेरोगेज लाइन
भले ही राज्य सरकार की ओर से समीप की अश्वस्थामा की तपोस्थली देवयानी तथा शाकम्भर माताजी में विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। किन्तु यहां भी सरोवर में पानी लाना सरकार के लिए चुनौती है। यहां पानी आ जाता है और देवयानी से शाकम्भर माताजी तथा नलियासर झील तक सांभर की नमक की झील में केन्द्र के भारी उधोग मंत्रालय से अनुमति लेकर नेरोगेज रेल की पटरी बिछाई जाए तो दो धार्मिक स्थल आपस में जुड जाएंगे। वहीं मार्ग के सांभर, झपोक , बरडोती और कोरसीना आदि गांवों में भी आवागमन सुलभ होगा।
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