बहराइच जिला अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डीके सिंह ने बताया कि विभिन्न बीमारियों से बीते 45 दिन में 71 बच्चों की मौत हो चुकी है। समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में 200 बेड़ हैं, जिन पर 450 मरीज भर्ती हैं। सीमित संसाधनों की वजह से अस्पताल प्रशासन को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके लोगों की जिंदगी बचाने के लिये जिला अस्पताल हर संभव प्रयास कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री बोले- बच्चों की मौतें स्वाभाविक
यूपी के चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जिन बच्चों की मौत रहस्यमयी बुखार से होनी बताई जा रही है, उनमें से अधिकतर की मौतें स्वाभाविक हैं, जबकि कुछ मौतें बाढ़ में पैदा हुई बीमारियों के कारण हुई हैं। जबकि बाकी मामलों में जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि बुखार से निपटने के लिये सरकार के पास पुख्ता इंतजाम हैं। मंत्री ने दावा करते हुए कहा कि बारिश के सीजन और उसके बाद पैदा होने वाली संक्रामक बीमारियों के संभावित खतरे से निपटने के लिये राज्य सरकार ने पहले ही योजना तैयार कर ली थी। सभी को दवाएं व जरूरी किट मुहैया करा दी गई हैं। एक्सट्रा बेड के लिये अतिरिक्त फंड भी मुहैया करा दिया गया है।
यूपी के चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जिन बच्चों की मौत रहस्यमयी बुखार से होनी बताई जा रही है, उनमें से अधिकतर की मौतें स्वाभाविक हैं, जबकि कुछ मौतें बाढ़ में पैदा हुई बीमारियों के कारण हुई हैं। जबकि बाकी मामलों में जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि बुखार से निपटने के लिये सरकार के पास पुख्ता इंतजाम हैं। मंत्री ने दावा करते हुए कहा कि बारिश के सीजन और उसके बाद पैदा होने वाली संक्रामक बीमारियों के संभावित खतरे से निपटने के लिये राज्य सरकार ने पहले ही योजना तैयार कर ली थी। सभी को दवाएं व जरूरी किट मुहैया करा दी गई हैं। एक्सट्रा बेड के लिये अतिरिक्त फंड भी मुहैया करा दिया गया है।
हर दो मिनट में तीन नवजातों की मौत : रिपोर्ट
बहराइच में 71, बरेली में 42, सीतापुर में 33, हरदोई में 30, कानपुर देहात में 17 और बदायूं में 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य जिलों से भी बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, विभाग ये संख्या कम बता रहा है। इन बच्चों में बुखार के बाद उल्टी-दस्त शुरू हो जाती है। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औसतन हर दो मिनट में तीन नवजात की जान चली जाती है। इसका कारण पानी, स्वच्छता, उचित पोषाहार या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में 8,02,000 शिशुओं की मौत हुई थी, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पांच वर्ष में सबसे कम है, लेकिन दुनियाभर में यह आंकड़ा अब भी सर्वाधिक है।
बहराइच में 71, बरेली में 42, सीतापुर में 33, हरदोई में 30, कानपुर देहात में 17 और बदायूं में 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य जिलों से भी बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, विभाग ये संख्या कम बता रहा है। इन बच्चों में बुखार के बाद उल्टी-दस्त शुरू हो जाती है। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औसतन हर दो मिनट में तीन नवजात की जान चली जाती है। इसका कारण पानी, स्वच्छता, उचित पोषाहार या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में 8,02,000 शिशुओं की मौत हुई थी, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पांच वर्ष में सबसे कम है, लेकिन दुनियाभर में यह आंकड़ा अब भी सर्वाधिक है।