जिस कड़ी में अभी गोरखपुर इलाके से भी NRHM घोटाले की जांच में फंसे एक वारिष्ठ रिटायर्ड अधिकारी द्वारा गोली मारकर खुदकुशी करने का ताजा वाकिया सामने आ चुका है।उसके बावजूद स्वास्थ्य महकमें में घोटाले की नित नई इबारत लिखने का सिलसिला किसी कीमत पर थमने का नाम नहीं ले रहा।
आपको बता दें कि भारत सरकार ने NRHM योजना का नाम परिवर्तित कर NHM योजना कर दिया है । जिसके तहत बहराइच जिले के 14 विकास खण्डों में 14 पदों पर (BPM ) ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर की भर्ती के लिये विभाग द्वारा आवेदन पत्र मांगे गए थे। जिसमें स्थानीय आवेदकों को वरीयता के साथ ही योग्य अभ्यर्थियों का चयन करने के लिये मिशन निदेशक NHM की तरफ से स्वच्छ गाईड लाईन जारी की गयी थी। उसके बावजूद बहराइच जिले के CMO डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय ने नियमों को ताख पर रखते हुए बाहरी एवं अयोग्य उम्मीदवारों से मोटी रकम डकार कर BPM जैसी पोस्ट पर भर्ती कर डाली।
यही नहीं 22 नंबर पर रिजेक्ट सूची में दर्ज आवेदक को भी पात्र बनाकर चयनित सूची में तीसरे नंबर पर चयन कर डाला। यही नहीं इस भर्ती के लिये योग्य अनुभवी आवेदकों से रजिस्टर्ड डाक द्वारा आवेदन मांगा गया था। उसके बावजूद अपात्र अभ्यर्थियों से हाथों हाथ आवेदन पत्र लेकर CMO ने कई आपत्रों का चयन BPM पद पर नियम विरूद्ध तरीके से करके भर्ती कर भ्रष्टाचार का एक नया इतिहास रच डाला।
इस मामले की जानकारी मिशन निदेशक NHM पंकज कुमार के कानों तक पहुंची तो उनके निर्देश पर देवी पाटन मंडल के अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ. सतीश कुमार मामले की जांच करने पहुंचे और उन्होंने भी खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अगर NHM योजना के तहत BPM भर्ती में पात्र आवेदकों को दरकिनार कर अपात्रों का चयन किया गया है तो ये बड़ी दुर्भाग्य पूर्ण बात है।
अब सवाल उठ रहा है कि जब सुप्रिम कोर्ट के 4 वरिष्ठ न्यायधीशों का पैनल बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस के जरिये इस बात की गवाही दे रहा है कि भारत के लोकतंत्र पर गहरा खतरा मंडरा रहा है।