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हज़ारों बाढ़ पीड़ितों ने किया शंखनाद, बांध के लिए किया चुनाव का बहिष्कार

locationबहराइचPublished: Apr 04, 2019 12:34:02 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

प्रशासन की अनदेखी से निराश हज़ारों ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का लिया फैसला, मतदाता जागरूकता के दावों की खुली पोल

Boycott of lok sabha election 2019 by voters in up

हज़ारों बाढ़ पीड़ितों ने किया शंखनाद, बांध के लिए किया चुनाव का बहिष्कार

बहराइच. जिले में एक तरफ प्रशासन मतदान को लेकर जागरूकता फैलाने के दम भर रहा हैं तो वहीं दूसरी तरफ उसी प्रशासन की अनदेखी से निराश हज़ारों ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला कर जिला प्रशासन के मतदाता जागरूकता के दावों की पोल खोल कर रख दी है। वहीं तराई के जिले बहराइच में घाघरा किनारे बसे कैसरगंज लोकसभा के हज़ारों बाढ़ पीड़ितों ने भी आगामी 6 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव में अपने वोट का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

घाघरा नदी के किनारे बसे इन सभी ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन कटान से बचने के लिए ठोकर या बांध का निर्माण करवाएं ताकि हर साल सैकड़ों परिवार बर्बाद होने से बच सकें और वो भी ज़िन्दगी जी सकें। हैरान करने वाली बात तो ये हैं कि किसानों के चुनाव बहिष्कार के फैसले ने भी कुम्भकर्णी नींद में सोये जिला प्रशासन को जगाने में नाकाम ही दिखाई दे रही है। इस मामले पर जब जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया। वहीं अब इन किसानों ने बाकी कटान पीड़ित गावों को बहिष्कार में शामिल करने की शासन को धमकी दी है।

विरोध प्रदर्शन कर शासन तक पहुंचाई मांग

कैसरगंज लोकसभा के गोडहिया नंबर 3 और मंझरा तौकली के लगभग 5 हज़ार किसान इस लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे। ठोकर की मांग को लेकर आज कटान पीड़ितों ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांग शासन तक पहुंचाई है। इनका कहना है कि अस्तित्व नहीं तो वोट नहीं। यहां के किसानों का कहना है कि आज तक न तो यहां सांसद आये और न ही कोई विधायक। अब चुनाव आया है तो वोट मांगने सब दौड़ते हुए आएंगे उसके बाद फिर उनको उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा। इसलिए इस बार न तो हम वोट करेंगे और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हम आंदोलन करते रहेंगे।

वोट न देने का लिया फैसला

जिला प्रसासन इस बार के चुनाव में रिकार्ड तोड़ मतदान कराने के लिए मतदाता जागरूकता के तमाम दावे करते नहीं थक रहा, लेकिन कैसरगंज लोकसभा इलाके के कटान पीड़ितों का चुनाव बहिष्कार करना उनके दावों की पोल खोलता नज़र आ रहा है। घाघरा के किनारे बसे ये किसान काफी समय से बांध या ठोकर की मांगों के चलते नेताओं से लेकर अधिकारियों की चौखट पर एड़ियां घिस रहे रहे हैं लेकिन आज तक इन किसानों की न तो कहीं सुनवाई हुई और न ही किसी ने राहत देने की बात भी कही।

यहां तक कि जिलाधिकारी को कई बार बांध ठोकर बनाने के लिए पत्र सौंपा गया तो कभी ज्ञापन दिया गया लेकिन आज तक किसी ने इनकी समस्याओं पर गंभीरता से सोचना तक मुनासिब नहीं समझा। बाढ़ हर साल इन किसानों को बर्बाद कर जाती है बाढ़ के समय नेता वादे तो कर जाते हैं लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने न तो कोई अधिकारी उधर नज़र करता है और न ही नेता। अब ऐसे में किसानों ने फैसला किया है कि हम इस बार वोट ही नहीं देंगे।

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