लालजी निर्मल ने कहा कि दलितों की आर्थिक सशक्तिकरण के लिए स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ना होगा। आजादी के 70 साल के इतिहास में पहली बार देश में दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण का एजेंडा आया है। देश के प्रधानमंत्री तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा है कि दलित रोजगार को लेकर पलायन न करें बल्कि वह अपने ही गांव शहर के आस पास के इलाकों में पंडित दीन दयाल स्वरोजगार योजना से जुड़कर रोजगार पैदा करें।
दलितों को उद्योग धंधे स्थापित करने के लिए हर संभव मदद दी जा रही है ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ। दलितों को आर्थिक रूप से मजबूत होना होगा। इसके लिए स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत बैंक की प्रत्येक शाखाएं एक दलित और एक महिला को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की लोन के तौर पर आर्थिक मदद कर रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार का एक ही मकसद है कि ऐसे गरीब जो सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से अछूते थे ऐसे लोगों का चिन्हाकंन कराकर उन्हे लाभान्वित किया जा रहा है ताकि उनके चेहरों पर भी मुस्कान आ सके। सरकार सबका साथ सबका विकास के तर्ज पर काम कर रही है इससे निश्चित ही समाज में खुशहाली आई है। अध्यक्ष ने कहा कि दलित अब किसी एक पार्टी का नौकर बनकर रहने वाला नहीं है। वह खुद ही अपनी सियासत और अपना वजूद तय करेगा।
राज्यमंत्री ने कहा कि मायावती इस देश की राजनीति का सबसे बड़ा जातिवादी चेहरा हैं। पार्टी में मायावती के अलावा कोई दूसरा दलित लीडर भी नहीं है। मायावती ने दलितों को कभी उभरने नहीं दिया मायावती ने अम्बेडकर जी के साथ छल किया।
यही नहीं मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि मेरा उत्तराधिकारी मेरी ही जाति का होगा।
उन्होने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत की राजनीति का अबतक का सबसे दलित विरोधी चेहरा है वो है अखिलेश यादव का। क्योंकि उन्होंने आरक्षण का बिल पार्लियामेंट के भीतर फाड़ा था।