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Lok Sabha Ground Report: इस सीट पर 9 बार ब्राह्मण, 3 बार क्षत्रिय व 3 बार पठानों पर ही मतदाताओं ने जताया भरोसा

locationबहराइचPublished: Mar 28, 2019 05:11:45 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

अटल व नाना जी देशमुख की कर्मस्थली में इतिहास दोहराने की ललक। इस लोकसभा से कभी पिछड़े व दलित नहीं पहुंचे सदन।

BJP congress

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श्रावस्ती. जनसंघ व भाजपा के संस्थापक रहे भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेई, नानाजी देशमुख की कर्मस्थली रही बलरामपुर-श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से इस बार महागठबंधन अपनी जीत दर्ज कराने के लिए पिछड़ी जाति के प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। जबकि इस लोकसभा सीट पर पहले कभी पिछड़ा व दलित वर्ग का प्रत्याशी सदन नहीं पहुंच सका। इस सीट पर अब तक सामान्य वर्ग का ही कब्जा रहा। देखा जाए तो इस सीट पर नौ बार ब्राह्मण, तीन बार क्षत्रिय व तीन बार पठानों पर ही मतदाताओं ने भरोसा कर उन्हें अपना रहनुमा चुना।
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परसीमन के बाद सन् 1962 में बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र बने इस संसदीय क्षेत्र में देखा जाए तो मतदाताओं ने 80 प्रतिशत चुनाव में राष्ट्रीय दलों पर ही भरोसा किया है। जनसंघ व भाजपा के संस्थापक रहे भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेई दो बार यहां से सदन पहुंचे। अटल जी को कांग्रेस की सुभद्रा जोशी के हाथों शिकस्त भी मिली। जिन्हें दोबारा चुनाव में शिकस्त देकर अटल जी पुन: सदन पहुंचे। इसके बाद अटल जी को कांग्रेस के चंद्रभाल मणि तिवारी ने हराया। जिन्हें बाद में जनता पार्टी के नानाजी देशमुख ने शिकस्त देकर इस सीट पर कब्जा किया। उन्हें बाद में पुन: कांग्रेस के चंद्रभाल मणि तिवारी ने हराया। इसके बाद इस सीट से कांग्रेस के ही महंथ दीप नरायण बन चुनाव जीते। जिन्हें बाद में निर्दल फजरुल रहमान उर्फ मुन्नन खां ने हराया। बाद में इस सीट से दो बार भाजपा के सत्यदेव सिंह ने जीत दर्ज की। जिन्हें बाद में लगातार दो बार सपा के बाहुबली रिजवान जहीर के हाथों शिकस्त मिली। बाद में भाजपा के बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह के सामने उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
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वर्तमान में यह हैं सांसद-

इसके बाद हुए परिसीमन में बनी श्रावस्ती लोकसभा सीट पर बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज चले गए। तब यहां कांग्रेस के डा. विनय कुमार पांडे ने जीत हासिल की। उन्हें बाद में भाजपा के दद्दन मिश्र के हाथों कड़ी शिकस्त मिली। कांगेस अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई थी। यह सभी पूर्व व वर्तमान सांसद सामन्य वर्ग के थे। 2014 के चुनाव में सपा के बाहुबली नेता अतीक अहमद दूसरे व बसपा के कद्दावर नेता लालजी वर्मा तीसरे तथा पीस पार्टी के बाहुबली रिजवान जहीर चौथे स्थान पर रहे।
कब से कब तक कौन रहा सांसद-

1957 में जनसंघ के भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई सांसद बने।

1962 में कांग्रेस की सुभद्रा जोशी सांसद बनी। वह इस सीट की अब तक की इकलौती महिला सांसद भी रहीं।
1967 में पुन: अटल जी ने अपनी जीत दर्ज कराई।

1971 में यहां से कांग्रेस के चंद्रभाल मणि तिवारी

977 में जनता पार्टी के नानाजी देशमुख सांसद बने।

1980 में पुन: कांग्रेस के चंद्रभाल मणि तिवारी संसाद बने।
1984 में कांग्रेस के ही महंत दीप नारायण बन सांसद बने

1989 में फजलुल रहमान उर्फ मुन्नन खां निर्दल चुनाव जीते।

1991 व 1996 के चुनाव में भाजपा के सत्यदेव सिंह ने जीत हासिल की।
1998 व 1999 में हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के रिजवान जहीर ने जीत दर्ज की।

2004 में भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की।

2009 में नए परिसीमन के बाद कांग्रेस के विनय कुमार पांडे उर्फ बिन्नू ने अपना परचम लहराया।
2014 में भाजपा के दद्दन मिश्र ने जीत दर्ज कराई।

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