प्रदेश सरकार ने स्कूली बच्चे जमीन पर न बैठे इसके लिए डेस्क बेंच की आपूर्ति के निर्देश दिए थे। जिसके तहत बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा अस्सी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में डेस्क बेंच आपूर्ति के लिए टेंडर निकाला गया था। जिसमें प्रति स्कूल 35 सेट प्लाईवुड का डेस्क बेंच जो कि लोहे के फ्रेम पर बनाया जाना था। उसकी आपूर्ति होनी थी। इसके लिए प्रति विद्यालय एक लाख 56 हजार रुपये का बजट भी निर्धारित किया गया था। जिले में डेस्क बेंच आपूर्ति के लिए कुछ माह पूर्व टेंडर निकाला गया था। जिसमें बहराइच के मेसर्स सुभाष इंटर प्राईजेज प्रोपराइटर सुभाष चंद्र अग्रवाल को डेस्क बेंच आपूर्ति करने का ठेका दिया गया। मगर उन्होंने मानक विहीन डेस्क बेंच की आपूर्ति जिले में कर दी। इसका खुलासा सीडीओ की अध्यक्षता में गठित तकनीकि समिति ने किया।
इस समिति में सहायक अभियंता जिला ग्राम्य विकास अभिकरण जो तकनीकि सदस्य के रूप में थे। उन्होंने जांच में पाया कि स्कूलों में जो डेस्क बेंच आपूर्ति की गई है। वह मानक से बिल्कुल विपरीत है। स्कूलों में जो डेस्क बेंच आपूर्ति होनी थी वह 1.50 मीटर लंबी डेस्क की आपूर्ति होनी थी। डेस्क के लिए एंगिल की साइजज सरकार द्वारा 25x25x5 एमएम व उस पर लगी प्लाईवुड की मोटाई 19 एमएम निर्धारित थी। लेकिन आपूर्ति कर्ता द्वारा एंगिल की मोटाई 20x20x3 एमएम व प्लाईवुड 19 एमएम के स्थान पर 10 एमएम से डेस्क बेंच बनवा कर सभी स्कूलों में आपूर्ति कर दी। इस प्रकार आपूर्तिकर्ता ने सभी 80 विद्यालयों में मानक विहीन डेस्क बैंच की आपूर्ति कर दिया। सीडीओ की जांच समिति द्वारा टेक्निकल जांच में गुड़वत्ता में कमी पाए जाने पर सीडीओ ने रिकवरी के आदेश दिए हैं।
वहीं इस मामले में बीएसए ओमकार राणा बताते हैं कि स्कूलों में डेस्क बेंच की सप्लाई होनी थी जिसके लिए टेंडर के माध्यम से आपूर्ति कराई गई है। इसमें आपूर्ति करता ने गुड़वत्ता विहीन आपूर्ति कर दी है। जिसका टेक्निकल जांच भी कराया गया है और ठेकेदार को नोटिस दिया गया है कि उसे रिप्लेस करे। अगर वह रिप्लेस नही करते है तो उनकी जमानत राशि जब्त कर संस्था को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा।