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गौतम और गाजी की धरती को उद्धारकर्ता की तलाश

locationबहराइचPublished: Mar 22, 2019 03:56:34 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

गौतम और गाजी की धरती को उद्धारकर्ता की तलाश

Shravasti

गौतम और गाजी की धरती को उद्धारकर्ता की तलाश

ग्राउंड रिपोर्ट
संतोष कुमार

श्रावस्ती. गौतम बुद्ध और गाजी की धरती श्रावस्ती को अपने उद्धारकर्ता की तलाश है। हर चुनाव में श्रावस्ती के विकास के लंबे चौड़े वादे किए जाते हैं लेकिन, चुनाव के बाद हर वादे हवा हो जाते हैं। भगवान बुद्ध ेने भले ही करोड़ों लोगों के जीवन में उद्धार किया हो लेकिन बौद्ध व जैन तीर्थ स्थल की विश्व विख्यात नगरी श्रावस्ती की गिनती आज भी देश के सर्वाधिक पिछड़े इलाके में होती है। इकौना में महर्षि वाल्मीकि आश्रम, सीता द्वार मंदिर व झील के अलावा यहां सैय्यद सलार गाजी मसूद के बड़े पिता बड़े पुरुष की दरगाह भी दिकोली में है। प्राकृतिक वन संपदा से सम्पन्न श्रावस्ती में देश-विदेश से हर साल लाखों बुद्ध अनुयायी आते हैं लेकिन पर्यटन की दृष्टि से भी यह इलाका बहुत पिछड़ा है। संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती में जिले की भिनगा और श्रावस्ती विधान सभा सीटें आती हैं। इसके अलावा बलरामपुर जिले की तीन विधान सभा बलरामपुर सदर, तुलसीपुर व गैसड़ी भी इस संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं।
भाजपा को सीट बचाना चुनौतीपूर्ण
2008 में अस्तित्व में आई श्रावस्ती भगवान राम के पुत्र लव की राजधानी हुआ करती थी। नेपाल सीमा के करीब स्थित श्रावस्ती कोशल महाजनपद का एक प्रमुख नगर हुआ करती थी। 2009 में पहली बार श्रावस्ती लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ। तब कांग्रेस के डॉ. विनय कुमार पांडे जीते थे। उन्होंने बसपा के रिजवान जहीर को हराया था। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के दद्दन मिश्रा ने चुनाव जीता था। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अतीक अहमद को हराया था। यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। यहां इस बार सपा-बसपा गठबंधन का प्रत्याशी मैदान में होगा। पिछली बार सपा-बसपा को मिले कुल 45 फीसदी वोटों के हिसाब से इस बार भाजपा प्रत्याशी के लिए मुश्किल हो सकती है।

जिले की प्रमुख समस्या


श्रावस्ती की सबसे बड़ी समस्या सडक़ संपर्क है। यहां की तीन प्रमुख तहसीलें तक आपस में सीधे बस सेवा से नहीं जुड़ी हैं। सदर तहसील भिनगा, इकौना और जमुनहा तहसील में एक दूसरे से सीधी बस सेवा की सुविधा नहीं है। इकौना व जमुनहा से भिनगा के लिए कोई सीधी बस सेवा नहीं है। जिले में एक भी उद्योग नहीं है। यहां के किसानों की मुख्य फसल गन्ना और धान की खेती है। लेकिन क्षेत्र में एक भी चीनी और धान मिल नहीं है। हालत यह है कि गल्ला मंडी तो बनी है लेकिन आज तक चालू नहीं हो पायी है। 1982 में शुरू हुई राप्ती सरयू योजक नहर का निर्माण आज तक अधूरा है। बाढ़ से हर साल 144 से अधिक गांव प्रभावित होते हैं। इनकी समस्या के समाधान की कोई पहल आज तक नहीं हुई।

ये वादे पूरे,ये हैं अधूरे


श्रावस्ती जिले में बहु प्रतीक्षित मांग रेलमार्ग को जोडऩे की थी। यहां के लोगों की यह मांग पूरी हुई। रेल लाइन बिछाने के लिए भूमि पूजन व शिलान्यास का कार्य हो गया है। बौद्ध तपोस्थली को हवाई सेवा से जोडऩे के लिए हवाई पट्टी के विस्तार का कार्य भी चल रहा है। आवागमन सुविधा के लिए राप्ती पर जमुनहा के मधवापुर घाट, इकौना के अंधरपुरवा घाट, व लक्ष्मनपुर बलरामपुर मार्ग पर पुल निर्माण भी हो गया। जबकि मधवापुर घाट, इकौना का अंधरपुरवा घाट, व लक्ष्मनपुर -बलरामपुर मार्ग पर पुल निर्माण तो हो गया लेकिन अधूरे सडक़ निर्माण के कारण इन मार्गों पर बसों का संचालन नही प्रारम्भ हो सका है। बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती के विकास का प्रयास तेज हुआ लेकिन सीताद्वार झील, मंदिर परिसर सहित बंगाल टाइगर के लिए रिजर्व सोहेलवा को इको टूरिज्म, पांडव कालीन विभूति नाथ मंदिर , रजिया ताल को पर्यटन स्थल के रूप में विकशित करने की पहल नही हो सकी।

श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र
कुल मतदाता- 1900092
महिला मतदाता-868294
पुरुष मतदाता-1031718
थर्ड जेंडर -80
मतदान केंद्र-1203
मतदेय स्थल- 2213

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