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इन साहसी महिलाओं की बहादुरी का सीएम योगी ने किया सम्मान, दिया पुरस्कार

locationबहराइचPublished: Mar 30, 2018 01:05:23 pm

कतर्नियां जंगल से घिरा बहराइच जिले का वनाच्छादित इलाका तमाम तरह के जंगली जानवरों का सबसे मुफीद प्रवास स्थल के तौर पर जाना जाता है।

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बहराइच. कतर्नियां जंगल से घिरा बहराइच जिले का वनाच्छादित इलाका तमाम तरह के जंगली जानवरों का सबसे मुफीद प्रवास स्थल के तौर पर जाना जाता है। इसी कड़ी में यहां के आस पास के इलाकों के रहने वाले ग्रामीणों के लिये जंगली जानवरों का आतंक किसी बड़े खतरे से कम नहीं। आलम ये है कि इस इलाके में जंगली जानवरों का हमला इंसानी बस्ती में आये दिन होता रहता है। कुछ ऐसी ही घटनाओं पर अपनी जान जोखिम में डालकर जंगली जानवरों से मोर्चा लेने वाली बहराइच जिले 4 महिलाओं को वीरता के क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देने के मामले में CM योगी के हाथों सम्मानित किया गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं के सम्मान की दिशा में एक बड़ा फैसला लेते हुए सूबे की तमाम बहादुर महिलाओं को एक मंच पर एक साथ सम्मान करने का काम कर दिखाया है। लखनऊ के लोक भवन में आमंत्रित कर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी वीरता के साहस का अदम्य परिचय देने वाली करीब 121 वीरांगना महिलाओं को रानी लक्षमीबाई वीरता पुरस्कार से नवाजने का काम किया गया है। CM के हाथों वीरता के सम्मान को पाने वाली महिलाओं की श्रृंखला में बार्डर के जिले बहराइच का नाम पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर आंका गया है । जहां से मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान पाने वाली 7 महिलाओं के नाम को प्रदेश सरकर द्वारा चयनित किया गया है। सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि इस वीरता के पुरस्कार को पाने वाली महिलाओं में 4 महिलाओं ने आदमखोर बाघ जैसे कई जंगली जानवरों लड़कर अपने बच्चों की जान बचाने का काम किया था । जबकि 3 महिला ग्राम प्रधानों को विकास कार्यों में उनके साहसिक योगदान के लिए इस सम्मान के लिये चुना गया। बहराइच जिले के लिय ये सम्मान गौरव की बात मानी जा रही है।


पूरे प्रदेश से 121 महिलाओं को मुख्यमंत्री द्वारा रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित करने का काम किया गया। सम्मान को पाने वाली महिलाओं में सबसे ज़्यादा बहराइच की महिलाओं की चुना गया है। सम्मान पाने वाली महिलाओं में सुनीता देवी जिन्होंने तेंदुए से लड़कर अपनी 10 वर्षीय बेटी की जान बचाई थी। ठीक इसी तरह सिंधु देवी ने भी अपनी बेटी को तेंदुए के लड़कर उसकी जान बचाने का काम किया था । वहीं वीरता के पुरस्कार से सम्मानित होने वाली महसी के चंदपईया गांव की रहने वाली पुष्पा ने लकड़बग्घे से लड़ अपनी बेटी को बचाया था। वहीं थाना रामगांव के मुकेरिया गांव की रहने वाली तारा ने तो बाघ से कई मिनटों की लड़ाई के बाद अपनी 8 वर्षीय बेटी को बचाया था। इन सभी महिलाओं को इनके साहस के लिए वीरता पुरस्कार से नवाज़ा गया है। वहीं इन महिलाओं के अलावा ज़िले की 3 महिला ग्रामप्रधानों को विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस बारे में जानकारी देते हुए महसी तहसील के SDM डॉ संतोष उपाध्याय ने बताया की ये सम्मान जिले के लिए गौरव की बात हैं इन महिलाओं को मिलने वाला सम्मान अपने आप में एक बड़ी मिसाल के साथ ही जिले के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है जो अन्य महिलाओ में आत्मसम्मान को बढ़ाने का काम करेगा।

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