scriptजिम्मेदारों की निष्क्रियता से समाप्त हो गया १५०-२०० एकड़ का जंगल | 150-200 acres of forest ended due to inaction of responsibilities | Patrika News

जिम्मेदारों की निष्क्रियता से समाप्त हो गया १५०-२०० एकड़ का जंगल

locationबालाघाटPublished: May 28, 2021 07:03:39 pm

Submitted by:

mukesh yadav

जानकारी देने के साथ ही बढ़ता गया वन भूमि पर अतिक्रमणसीएम हेल्पलाइन की शिकायतें निकम्मेपन की बयां की कहानीवन रक्षक से लेकर वन मंत्री को की गई शिकायत, लेकिन नहीं हट पाया अतिक्रमणबिरसा धोपघट की वन विभाग की 150 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मामला

जिम्मेदारों की निष्क्रियता से समाप्त हो गया १५०-२०० एकड़ का जंगल

जिम्मेदारों की निष्क्रियता से समाप्त हो गया १५०-२०० एकड़ का जंगल


इंट्रो:- जिम्मेदारों को जानकारी देने के साथ ही वन भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता गया। आलम यह है कि क्षेत्र का करीब १५० एकड़ से अधिक का जंगल खेत खलिहान में तब्दील हो गया है। दुर्भाग्य कि बात है कि ग्रामींण आगे आकर जंगल बचाने प्रयासरत है, लेकिन जिम्मेदारों की निष्क्रियता वन क्षेत्र को तबाह कर रही है।
बालाघाट. यह मामला वन परिक्षेत्र बिरसा/दमोह सामान्य के अंतर्गत धोपघट बीट क्रमांक 1706 के राजस्व ग्राम बोरी का है। यहां की 150 एकड़ से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण कारियों ने कब्जा कर रखा है। कई शिकवा शिकायत कर थके ग्रामींण अब आंदोलन का रूख अख्तियार करने जा रहे हैं। जिन्होंने १५ दिवस के भीतर अतिक्रमण नहीं हटाए जाने पर उग्र आंदोलन की रणनीति तैयार की हैं। ग्रामींणों का मानना है कि वन विभाग की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद ग्रामींणों को अतिक्रमण होना बताना पड़ रहा है। इसके बाद भी गहरी नींद में सोए जिम्मेदार इस मामले में जागने को तैयार नहीं है।
सीएम तक को कर चुके शिकायत
ग्रामींणों ने बताया है कि ग्राम बोरी में कुछ लोगों के द्वारा 2-3 सालों से वन भूमि पर कब्जा कर खेती की जा रही है। वहीं कार्रवाई के अभाव में अब पक्के अतिक्रमण, कुंआ, बावली भी बना ली गई है। जिसकी सूचना ग्राम वन समिति के द्वारा सभी उच्च अधिकारियों को लगातार दी गई। दफ्तरों के चक्कर काटे गए। लेकिन कार्रवाई के नाम पर वन विभाग टस से मस नहीं हुआ। ग्रामींणों ने मुख्यमंत्री, वन मंत्री, मुख्य वन संरक्षक, वनमंडलाधिकारी, रेंजर, डिप्टी रेंजर आदि तमाम अधिकारियों को लिखित व मौखिक सूचना बार-बार दी गई। लेकिन किसी भी जिम्मेदार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी है। मजबूरन ग्रामींणों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।
आश्वासन में हटा रहे अतिक्रमण
ग्राम वन समिति के पदाधिकारियों के अनुसार अतिक्रमण हटाने को लेकर पूरे ग्रामींण, वन समिति बोरी के सदस्यों का भरपूर सहयोग है। फिर भी ऐसी कौन सी मजबूरी है, जो वन अमला कब्जाधारियों पर इतने मेहरबान है। ग्राम वन समिति के द्वारा 2019 से लगातार सूचना दी जा रही है। 19 जनवरी २१ को ग्रामींणों को डीएफओ उत्तर सामान्य ने कार्यालय बुलाकर 26 जनवरी से पूर्व अतिक्रमण हटा दिए जाने की बात कही गई। फिर मामला शांत हो गया। हर बार ग्रामींण आंदोलन की चेतावनी देते हैं तो अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया जाता है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर जांच तक नहीं हो पाई है।
दबंगों पर मेहरबान विभाग
ग्रामींणों के अनुसार वर्षो से सरकारी जमींन पर किए गए अतिक्रमण को लेकर पूरा गांव वन विभाग के साथ है। वहीं ग्रामींणों ने सीएम हेल्पलाइन 181 पर शिकायत नंबर 12986272, 12993492, 12986334 के तहत शिकयात दर्ज कराई। लेकिन अब तक पूरे मामले की जांच नहीं करवाई जा रही है। वन विभाग के जिम्मेदार कब्जा धारियों पर आखिर क्यूं मेहरबान है और जंगल को क्यो विलुप्त होते देखा जा रहा है समझ से परे हैं।
इस मामले में जमींनी स्तर के अधिकारी डीएफओं के आदेश की राह देख रहे हैं। वहीं वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आ रहे हैं।
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