इस सड़क पर एमपीआरडीसी के दो टोल नाके हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि दोनों नाके भी गड्ढे में है। पहला नाका सिवनी जिले के सेलुआ घाटी में तथा दूसरा बालाघाट जिले के बिरसोला के पास है। यह स्थिति तब है जब नाके से प्रतिदिन लाखों की कमाई होती है। इस सड़क पर वन विभाग का वनोपज नाका व वन विकास निगम का भी दो नाका है।
यदि यह कहा जाए कि एमपीआरडीसी का इस सड़क पर बिल्कुल ध्यान नहीं है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है, क्योंकि कंजई घाटी में सड़क की सुरक्षा को लेकर लगाया गया संकेतक गिरा है। उसके पास सड़क के मध्य गड्ढा बना है। टोल नाका के पास गड्ढे हैं। लेकिन महकमा को फुर्सत नहीं है कि उसे सही करा पाएं। बरघाट से जेवनारा के पहले तक, बेहरई व कंजई घाटी में कुछ स्थानों पर सड़क अच्छी है, लेकिन यहां से गुजरते समय कंपन जैसी स्थिति निर्मित होती है। सिवनी से बरघाट के बीच, लालबर्रा के पहले और बाद। गर्रा पहुंचने के पूर्व तक सड़क की स्थिति ठीक नहीं है। बस व अन्य वाहन से यात्रा करने वाले यात्री हिचकोले खाते हुए मंजिल तक पहुंच रहे हैं।
इस संबंध में सहायक महाप्रबंधक बालाघाट दीपक आड़े ने बताया कि प्राय: मरम्मत का कार्य होता है। अभी भी मरम्मत कार्य कहीं न कहीं चल रहा होगा। मरम्मत का कार्य कहां चल रहा है? इस सवाल का जवाब वे नहीं दे पाए। उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र का दायरा सीमित होना बताकर चुप्पी साध लिया। गौरतलब है कि सिवनी से बालाघाट के बीच कहीं भी मरम्मत कार्य नहीं चल रहा है।
सड़क के कुछ स्थानों पर पहली परत उखड़ी है। वह गड्ढे नहीं है। गड्ढा वह होता है, जिसमें नीचे का मटेरियल दिखाई दे। जल्द ही मरम्मत कार्य शुरू कराया जाएगा।
- आशीष पटले, महाप्रबंधक एमपीआरडीसी छिंदवाड़ा