जानकारों की माने तो कबाड़ से जुगाड़ सिद्धान्त का पूरा दुरुपयोग नजर आता है। इनमें रस्सियां ठीक से नहीं लगी है, जिससे इसमें बैठा जा सके। रंग रोगन पेंट करने के लिए भी पेंटर को बुलाया गया, इसके अलावा नगर परिषद के 4 कर्मचारी भी इसमें लगे रहे, इसके बावजूद भी ये बैठने लायक नहीं बन पाए। अनुपयोगी वसतुओं को बनाने में लागत ही अधिक आ गई, उसके बावजूद भी वह कोई काम का नजर नहीं आता। ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होने के बाद बारिश के समय में इन टायरों में पानी जमा होगा, जो मच्छरों और उसके लावा को जन्म देगा, जो कई बीमारियों को पैदा करेगा।
जानकारों की माने तो कबाड़ से जुगाड़ सिद्धान्त का पूरा दुरुपयोग नजर आता है। इनमें रस्सियां ठीक से नहीं लगी है, जिससे इसमें बैठा जा सके। रंग रोगन पेंट करने के लिए भी पेंटर को बुलाया गया, इसके अलावा नगर परिषद के 4 कर्मचारी भी इसमें लगे रहे, इसके बावजूद भी ये बैठने लायक नहीं बन पाए। अनुपयोगी वसतुओं को बनाने में लागत ही अधिक आ गई, उसके बावजूद भी वह कोई काम का नजर नहीं आता। ग्रीष्म ऋतु के समाप्त होने के बाद बारिश के समय में इन टायरों में पानी जमा होगा, जो मच्छरों और उसके लावा को जन्म देगा, जो कई बीमारियों को पैदा करेगा।