बदलते परिवेश में देखने मिला आदर्श निकाह
बालाघाटPublished: Jul 13, 2020 09:02:22 pm
मौलाना इरशाद इशाअती ने मिसाल पेश की
बदलते परिवेश में देखने मिला आदर्श निकाह
बालाघाट. इस्लाम धर्म के धर्मगुरु पैगंबर हजरत मोहम्मद सअ व सल्लम ने बहुत ही सादा और सरल तरीके से जीवन बिताने की शिक्षा दी है और स्वयं उन्होंने अपनी चार बेटियों का निकाह भी निहायत सादगी से बिना किसी दहेज के किया था। उन्हीं के आदर्श एवं सिद्धांतों के अनुसार हर मुसलमान चला करता था। लेकिन समय के साथ बदलते परिवेश में अब ऐसी सादगी कभी कभार ही देखने को मिलती है।
कुछ इसी तरह कटंगी शहर के वार्ड नंबर 7 गोंडी मोहल्ले में स्थित मस्जिद सईद के इमाम मौलाना हाफिज इरशाद इशाअती का निकाह शहर के ही समाजसेवी डॉक्टर फारूक अंसारी की सुपुत्री के साथ 13 जुलाई को संपन्न हुआ। निकाह के बाद दुआ में देश की शांति, अमन एवं भाईचारा बना रहे और कोरोना महामारी के खात्मे के लिए विशेष दुआ की गई। दोनों ही परिवार ने किसी भी प्रकार का धूम धड़ाका व आडंबर किए बिना सादगी के साथ विवाह संपन्न कराया। शादी के ना तो आमंत्रण कार्ड बांटे गए और ना ही किसी प्रकार दहेज आदि का लेनदेन किया गया। दोनों ही परिवार ने जुमा की नमाज के समय शादी की तारीख बता कर सार्वजनिक ऐलान कर लोगों को निकाह एवं वलीमा में शरीक होने की दावत दी थी। मौलाना इरशाद ने स्वयं के तथा दुल्हन के कपड़े सहित जीवन यापन हेतु आवश्यक सामानों की व्यवस्था लड़की पक्ष पर ना डालते हुए स्वयं के खर्चे से की है। निकाह में शरीक होने वालों से मात्र दुआ और आशीर्वाद लिया गया, कोई सामग्री या रकम स्वीकार नहीं की गई।
वर्तमान परिवेश में बारात, डेकोरेशन, दहेज, जेवरात व खाने में लोग लाखों रुपए खर्च किया करते हैं। जिससे छोटे तबके के लोगों को अपनी बच्चियों की शादी के लिए बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे बदलते परिवेश में बिना किसी आडंबर के निहायत सादगी से विवाह संपन्न कराकर एक मिसाल पेश की गई है, जिसकी सभी बुद्धिजीवी लोगों ने प्रशंसा की है।