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चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा व्रत

locationबालाघाटPublished: Oct 13, 2022 09:57:55 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

पति की लंबी आयु के लिए सुहागनों ने रखा निर्जला व्रत

चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा व्रत
चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा व्रत
बालाघाट. महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर 13 अक्टूबर को करवाचौथ का पर्व हर्षोल्लास से आस्था पूर्वक मनाया गया। इस पर्व को लेकर सुबह स्नान ध्यान कर महिलाओं ने दिनभर निर्जला व्रत रखा। शाम के समय सोलह श्रंगार कर चांद निकलने का इंतजार करते रही। चांद का दीदार होते ही पतिदेव का चेहरा चलनी में देख पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोला। स्थानीय हनुमान चौक के समीप सुहागिन महिलाओं ने सामूहिक रुप से पूजा-अर्चना की। वहीं अनेक महिलाओं ने अपने ही घरों में पूजा अर्चना कर अपना व्रत खोला।
महिलाओं द्वारा बाजार से मिट्टी का बना करवा खरीद उसमें गेहूं व गुड़ रखकर भगवान गणेशजी के नाम से चंद्रमा को अद्र्ध देकर चंद्रदेव की पूजा की। इस पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। व्रतधारी महिलाओं द्वारा शिव-पार्वती की भी पूजा अर्चना कर आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। व्रतधारी महिलाओं ने बताया कि यह व्रत कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसलिए इसे करवा चौथ कहते हैं। इस व्रत की शुरूआत सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाकर की थी। तभी से सभी सुहागिन महिलाओं ने अन्न जल त्यागकर अपने पति के लंबी उम्र के लिए इस व्रत को श्रद्धा के साथ करती है। उन्होंने बताया कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी। यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग दिया। वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगी। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए। उन्होंने सावित्री से पति के अतिरिक्त कोई और वर मांगने कहा। तब सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें। जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरूष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। अंत में अपने वचन में बंधन के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज को लौटना पड़ा था। तभी से सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती है।
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