scriptसंबल कार्ड के सत्यापन के बाद लाखों हितग्राही निकले अपात्र | After validation of Sambal card, beneficiaries came out ineligible | Patrika News

संबल कार्ड के सत्यापन के बाद लाखों हितग्राही निकले अपात्र

locationबालाघाटPublished: Oct 20, 2019 07:23:08 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

पांच लाख हितग्राहियों में से करीब तीन लाख हितग्राही ही पाए गए पात्र

संबल कार्ड के सत्यापन के बाद लाखों हितग्राही निकले अपात्र

संबल कार्ड के सत्यापन के बाद लाखों हितग्राही निकले अपात्र

बालाघाट. प्रदेश सरकार द्वारा जिले में कराए गए संबल कार्ड योजना के भौतिक सत्यापन में लाखों हितग्राही अपात्र पाए गए है। जिले में पूर्व में बगैर भौतिक सत्यापन के रेवड़ी की तरह ही संबल कार्ड का वितरण कर दिया गया था। करीब ४० प्रतिशत संबल कार्ड के हितग्राही सत्यापन में अपात्र पाए गए। मौजूदा सरकार ने इस योजना के तहत जब हितग्राहियों का सत्यापन कराया, तब योजना में हुए घोटाले का खुलासा हुआ है। हालांकि, इस मामले में किसी भी अपात्र हितग्राही के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर नया सवेरा कर दिया है।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में संबल योजना के तहत पूर्व में ५ लाख ३२ हजार ३९३ हितग्राही थे। जिसमें पुरुष हितग्राही २ लाख ९३ हजार ५६२ और महिला हितग्राही २ लाख ३८ हजार ८३१ है। मौजूदा सरकार के पूर्व इन हितग्राहियों में से इस योजना के तहत मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना के १ लाख १७ हजार ४५० हितग्राहियों को लाभाविंत किया गया है। इसी तरह सरल बिजली बिल योजना में पंजीकृत हितग्राही १ लाख ६५ हजार ३३१ को लाभाविंत किया गया है। सरल बिजली बिल योजना के तहत इन हितग्राहियों से प्रतिमाह दो सौ रुपए का बिजली बिल लिया जाता था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इस योजना को पहले बंद कर दिया गया। जन कल्याण स्वास्थ्य योजना में प्रसव पूर्व जांच के लिए पंजीकृत हितग्राहियों की संख्या १९८६, संस्थागत प्रसव के ३२८५, मृत्य उपरांत अंत्येष्टि सहायता राशि के ३२३९, जनकल्याण अनुग्रह सहायता योजना के १४७७ हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिया गया है। इसके अलावा अन्य योजनाओं में भी अपात्र हितग्राहियों को शासन की योजनाओं का लाभ दिया गया है। जब से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ, तब से इस योजना के तहत संबल कार्ड धारियों का भौतिक सत्यापन कराया गया। यहां विडम्बना यह है कि भौतिक सत्यापन के लिए मौके पर करीब २५ प्रतिशत हितग्राही ही पहुंचे। हालांकि, बाद में अन्य तरीकों से इसका सत्यापन किया गया। जिसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। प्रदेश सरकार ने इस योजना का नाम बदल कर नया सवेरा कर दिया। इसके बाद पात्र हितग्राहियों के सत्यापन के लिए नगरीय निकायों, जनपद पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गई। जहांं हितग्राहियों को भौतिक सत्यापन के लिए बुलाया गया, जहां करीब २५ प्रतिशत हितग्राही ही पहुंच पाए। जब नया सवेरा योजना के तहत पूरी तरह से जिले में भौतिक सत्यापन किया गया तो करीब ४० प्रतिशत संबल योजना के हितग्राही अपात्र पाए गए।
अपात्रों को भी दिया गया लाभ
संबल योजना के तहत पूर्व में अपात्र हितग्राहियों को भी इसका लाभ दिया गया। विडम्बना यह है कि भौतिक सत्यापन के दौरान ऐसे भी हितग्राही सामने आए, जो आयकर दाता है और उन्हें इस योजना का लाभ मिल रहा था। इतना ही नहीं कुछेक परिवार ऐसे भी मिले, जहां सभी सदस्यों का संबल कार्ड बना हुआ था। माना जा रहा है कि लक्ष्य पूर्ति के लिए प्रशासनिक अमले द्वारा इस तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है।
सरकार ने बदला योजना का नाम
प्रदेश सरकार ने संबल योजना का नाम ही बदल दिया है। अब यह नया सवेरा योजना के नाम से लागू है। जिसके तहत पात्र हितग्राहियों को अब नए सिरे से योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।
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