सभी शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया, अब बच्चों को पढाएगा कौन
बालाघाटPublished: Jul 29, 2023 06:51:36 pm
स्थानांतरण पर सवाल-
दो 2 गांवों के ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर अधिकारियों से मांगा जवाब
जनजाति कार्य विभाग में बिना मापदंड के कर दिए गए हैं शिक्षकों के स्थानांतरण
अब अधिकारियों के ही गले की फांस बन रहे नियम विरुद्ध किए गए स्थानांतरन


सभी शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया, अब बच्चों को पढाएगा कौन
बालाघाट. जिले के जनजाति कार्य विभाग में पदस्थ शिक्षकों के बिना मापदंडों स्थानांतरण कर दिए गए। अब कुछ स्कूलों में सैकड़ों बच्चों पर महज एक शिक्षक ही शेष रह गए हैं। वहीं कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहां स्थानांतरण के बाद बच्चों के पढ़ाने शिक्षक नहीं बच रहे हैं। इस तरह की स्थिति सामने आने पर स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ग्रामींण और पालकगण भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। जिन्होंने जिला मुख्यालय पहुंचकर स्थानांतरण प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं शिक्षकों को यथावत रखे जाने की मांग की है।
इन क्षेत्रों से पहुंचे ग्रामींण
जनशिक्षा केन्द्र डाबरी के बिलालसा और मंडई के देवरी से बड़ी संख्या में ग्रामीण और अभिभावक कलेक्ट्रेट पहुंचे। जिन्होंने जिला प्रशासन से स्थानांतरित शिक्षकों को स्कूलों में वापस भेजने की मांग की। इन्होंने बताया कि बिलालकसा और देवगांव में शासकीय प्राथमिक स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के स्थानांतरण करने से दोनों ही स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था लडखड़़ा गई है। बिलालकसा के नंदलाल टेकाम की मानें तो प्राथमिक स्कूल बिलालकसा में दो शिक्षक थे। जिनका स्थानांतरण कर दिया गया है। अब यह स्कूल शिक्षक विहीन हो गया है। अब तक यहां किसी भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई है। बच्चों के शिक्षण कार्य पर सवाल खड़ा हो गया हो गया है।
एक शिक्षक के भरोसे जिम्मेदारी
पालकों ने बताया कि मंडई के देवगांव का मामला भी ऐसा ही है। यहां प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में दो शिक्षकों में एक का स्थानांतरण हो गया है। अब एक शिक्षक के भरोसे पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं की जिम्मेदारी आ गई है। जो कि संभव नहीं है। यदि एक मात्र शिक्षक भी अवकाश लेते हुए स्कूल भगवान भरोसे हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जनजाति कार्य विभाग के 96 शिक्षक और 4 लिपिकों को हालहि में स्थानांतरण किया गया है। लेकिन स्थानांतरण प्रक्रिया में नियमों और मापदंडों का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया है। इस कारण इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। पत्रिका ने इस गंभीर मामले को सबसे पहले उठाते हुए 27 जुलाई को 317 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक शिक्षक शीर्षक से खबर का प्रमुखता से प्रकाशन भी किया था। इस खबर के माध्यम से स्कूलों में निर्मित हो रही गंभीर समस्या और बच्चों के भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। अब ग्रामींण और पालकगण भी जिला मुख्यालय पहुंचकर सच्चाई और समस्या बयां कर रहे हैं। पूरे मामले को लेकर जनजाति कार्य विभाग की स्थानांतरण कार्यप्रणाली कटघरे में नजर आ रही है।
वर्सन
शासन प्रशासन स्वयं शिक्षा पर जोर देकर आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे की बात कहता है। दूसरी ओर आदिवासी अंचलों के स्कूलों को शिक्षक विहीन किए जा रहे हैं। यह आदिवासी क्षेत्रों के लोगों के साथ अन्याय है। पहले स्कूलों पूरी जांच की जानी थी फिर ट्रांसफर किए जाने थे।
दीपक धुर्वे, पालक मंडई देवगांव