अमित नैनवानी बनेंगे ५५ वें हनुमान साधक
बालाघाटPublished: Oct 17, 2018 07:05:13 pm
बालाघाट दशहरा चल समारोह में हनुमान बनेंगे अमित नैनवानी
अमित नैनवानी बनेंगे ५५ वें हनुमान साधक
बालाघाट। नवरात्र पर्व अपने अंतिम चरणों में है। इसके बाद शुक्रवार को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। जिले का दशहरा पर्व चल समारोह के चलते मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस बार दशहरा चल समारोह में शहर के वार्ड नंबर 18 निवासी रमेश नैनवानी के बड़े पुत्र अमित नैनवानी (२५) हनुमान बनेंगे। दशहरा चल समारोह कार्यक्रम बीते 55 वर्षों से महावीर सेवा दल समिति श्री राम मंदिर हनुमान चौक द्वारा आयोजित किया जा रहा है। समिति अध्यक्ष सुभाष मंगे और कुलदीप सिंह गांधी ने बताया कि अमित बचपन से ही राम मंदिर से जुड़े हैं। बीते 8 वर्ष पूर्व उनके पिताजी ने उनका नाम हनुमान जी के पाठ के लिए लिखवाया था। इस वर्ष उनका नंबर लगा है। अमित और उनके पिता की अनुमति के बाद ही दशहरा से 40 दिन पूर्व ही हनुमान साधक बनने का पाठ शुरू हो चुका है। इस दौरान एक टाइम भोजन दो टाइम फलाहारी और नवरात्रि के दौरान पूरी तरह उपवास फलाहारी पर रहना पड़ता है। इस बीच रोजाना सुबह शाम 8 से 10 किमी. पैदल चलना और शरीर को इस लायक बना लेना की वह सर पर 38 किलों का मुकुट पहनकर श्री राम मंदिर से दशहरा चल समारोह रावण दहन स्थल उत्कृष्ट स्कूल मैदान तक करीब 4 किमी पैदल चलकर पहुंचने के लिए पूर्णता सक्षम हो जाए। हनुमान साधन ने पंचमी को हनुमान मंदिर में चोला भी चढ़ाया। वहीं गुरूवार को चल समारोह का अंतिम अभ्यास होगा।
दो राज्यों के शामिल होंगे श्रद्धालु
समिति अध्यक्ष के अनुसार 55 वर्ष होने की वजह से इस बार दशहरा चल समारोह भव्य और आकर्षक रहेगा। इंदौर से आतिशबाजी तो विभिन्न कलाकार आ रहे हैं। जिलेभर से पहुंचने वालों के लिए अलग-अलग सुविधाएं की जा रही है। उन्होंने जिले के साथ-साथ मप्र, छत्तीसगढ़, सिवनी, छिंदवाड़ा, मंडला, डिंडोरी, गोंदिया, दुर्ग, भिलाई सहित अन्य सभी जिलों के राम और हनुमान भक्त से इस दशहरा चल समारोह में पहुंचकर भव्य कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।
यह है पूरा आयोजन
जानकारी के अनुसार महावीर सेवा दल समिति द्वारा हरियाणा पानीपत की तर्ज पर बालाघाट में भी बीते 55 वर्षों से दशहरा चल समारोह के दौरान हनुमान साधक बनाए जाने की परंपरा चली आ रही हैं। इस दौरान हनुमान साधक बनने वाले युवाओं को 40 दिन का उपवास मंदिर में रहकर ही करना पड़ता है। दशहरा चल समारोह जो कि नए राम मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गो से होता हुआ दशहरा दहन स्थल पर पहुंचता है। इस दौरान हनुमान साधक को करीब 38 किलो वजनी का मुकुट सिर पर धारण करना होता है। कठिन उपवास, तपस्या के बाद प्राप्त होता है दशहरा चल समारोह में हनुमान बनने का अवसर।
देखते ही बनता है चल समारोह
समारोह में प्रतिवर्ष शामिल होने वाले भक्त नवीन यादव ने बताया कि दशहरा चल समारोह बालाघाट जिसने एक बार देखा वह बार-बार देखने आता है। नए राम मंदिर से जब हनुमान बने साधक के सिर पर कमर से लेकर करीब 9 फीट ऊंचा 38 किलो वजनी मुकुट पहना दिया जाता है, उसके बाद चल पड़ता है या चल समारोह का रेला। जय वीर महावीर के उद्घोष के बीच सैकड़ों युवाओं के घेरे में हनुमान साधक सचमुच ऐसा लगता है कुछ पल के लिए जैसे धरती पर हनुमान जी उतर आए हो।
जैसे-जैसे जय वीर महावीर की जय घोष बढ़ते जाते हैं चल समारोह आगे बढ़ता चलता है। शहर की सड़कों के दोनों किनारों के उपर जुलूस में हजारों की संख्या में लोग हनुमान जी के दर्शन पाने के लालायीत नजर आते हैं। प्रतिवर्ष सैकड़ों युवा हनुमान बनने समिति के पास नाम लिखवाते हैं। लेकिन इस कठिन तपस्या उपवास के लिए किसी एक का चयन होता है। इस बाद अमित को यह मौका मिला है और अमित बड़े ही तन्मयता से इस तपस्या में लगे हुए हैं।