किराए के कच्चे जर्जर भवन में लग रहे आंगनवाड़ी केन्द्र
बालाघाटPublished: May 22, 2019 04:28:02 pm
जिले के नगरीय क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलों में अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवन में संचालित हो रहे है।
किराए के कच्चे जर्जर भवन में लग रहे आंगनवाड़ी केन्द्र
बालाघाट.जिले के नगरीय क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचलों में अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवन में संचालित हो रहे है। जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केन्द्र कच्चे व जर्जर भवन में लगाया जा रहा है। जिसमें शौचालय की सुविधा नहीं है। गर्मी के दिनों में आंगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल की समस्या भी बनी हुई है। शासन द्वारा विभिन्न तरह की योजना निकाल हितग्राहियों को लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर उन योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को सही तरीके से नहीं मिल पाता है।
गौरतलब हो कि जिले में करीब 2555 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है। जिनमें से आज भी करीब 525 आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवन में संचालित हो रहे है। जिनका किराया भी मकान मालिक को सही समय पर नहीं मिल पाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में किराए के कच्चे भवन में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है। बारिश के दिनों में पानी टपकता है।
महिला एवं बाल विकास परियोजना परसवाड़ा के अंतर्गत अधिकांश गावों में संचालित आंगनवाड़ी भवन किराए के भवन में लग रही है। जिनमें आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हो रही है वे भवन जर्जर हो गए है। जिनका किराया कम होने के बावजूद भी मकान मालिक को समय पर नहीं मिल पाता है। गर्मी में आंगनवाड़ी केन्द्र में पानी की सुविधा नहीं होने से बोरवेल वालों के घर से पानी खरीदना पड़ रहा है। उकवा केम्प के वार्ड नंबर 16 में करीब 20 वर्ष से आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित की जा रही है। लेकिन आज तक आंगनवाड़ी का पक्का भवन निर्माण नहीं कराया गया है। जहां आंगनवाड़ी केन्द्र लग रहा है उसके मकान मालिक ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्र में शौचालय नहीं है। गर्मी में हैण्डपंप सूख जाने से पीने का पानी प्रतिमाह 150 रुपए के हिसाब से बोर वाले के घर से लिया जा रहा है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थिति है। लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इनका कहना है
आंगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल व शौचालय की सुविधा होना चाहिए। आंगनवाड़ी स्वयं के भवन में संचालित हो इसका प्रयास किया जा रहा है।
लीना चौधरी, महिला बाल विकास अधिकारी